Vijaya ekadashi vrat Katha in hindi: विजया एकादशी

हमारे देश व्रत त्यौहार का विशेष महत्व है तथा इनसे होने वाले लाभ तथा मनुष्य पर पड़ने वाले प्रभाव का शास्त्रों में विशेष उल्लेख है। व्रत उपवास एवं पर्व के मानने और उनका अनुसरण करने से हमारे  जे जीवन में सुख समृद्धि और आयु की वृद्धि होती है। लेख में हम आपको Vijaya ekadashi vrat Katha in hindi: विजया एकादशी  के विषय में विस्तार पूर्वक विश्लेषण करेंगे।

Vijaya ekadashi vrat Katha in hindi: विजया एकादशी
Vijaya ekadashi vrat Katha in hindi: विजया एकादशी

Vijaya ekadashi vrat Katha in hindi: विजया एकादशी का महत्व

सनातन धर्म में 18 पुराणों में से एक पुराण स्कंद पुराण भी है। स्कंद पुराण में vijaya ekadashi (विजया एकादशी) के महत्व और उसकी क्रियो का वर्णन किया गया है। महाराज युधिष्ठिर ने पूछा कि ही वासुदेव कृष्ण फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष में कौन सी एकादशी आती है।

उसके पश्चात भगवान श्री कृष्ण ने बताया कि है राजन जो सभी पापों को नाश करने वाली है यह व्रत बहुत प्राचीन और पवित्र है यह विजय एकादशी राजाओं को विजय प्रदान करने वाली है। त्रेता युग में जब भगवान विष्णु ने मानव रूप में जन्म लिया था जिनका नाम श्री रामचंद्र जी था।

जब राजा रामचंद्र, लक्ष्मण और माता सीता सहित 14 वर्ष के लिए वनवास गए थे। चित्रकूट के निकट पंचवटी में सीता जी और लक्ष्मण जी निवास कर रहे थे वहां से रावण ने सीता हरण कर लिया इस दुख में उन्हें बहुत व्याकुलता हुई। देवी सीता की तलाश में वनों में भटकते हुए उन्हें जटायु मिला जो मरणासन्न था ।

उसके पश्चात उन्होंने वन में कबंध राक्षस का वध किया सुग्रीव से मित्रता करके श्री रामचंद्र जी ने वानर सेना को संगठित किया हनुमान जी श्री रामचंद्र जी की मुद्रा लेकर लंका गए और सीता जी की तलाश करके लौट आए। वहां से वापस लौट कर लंका कथन के पश्चात सुग्रीव से अनुमति लेकर श्री रामचंद्र जी ने लंका जाने का निश्चय किया।

किंतु लंका जाने से पहले उन्हें एक विशाल समुद्र को पार करना था तब भगवान श्री रामचंद्र जी ने लक्ष्मण से कहा कि इस अथाह सागर में अनेक जीव जंतु हैं इसे हम आसानी से कैसे पार करें। इसके लिए हमें उपाय खोजना चाहिए।

समुद्र के पास एक दीप है और उसे दीप में एक मुनि का आश्रम है हमें लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए उनसे कुछ उपाय आशीर्वाद के स्वरूप में अवश्य लेना चाहिए जिससे हम लंका में विजय प्राप्त कर सकें।

तब रामचंद्र जी मुनि के आश्रम में पहुंचे मुन्नी ने बताया फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की विजया एकादशी के पालन से विजय प्राप्ति होती है। इसलिए ही राजन इस व्रत की विधि इस प्रकार है।

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Vijaya ekadashi puja vidhi

दसवीं के दिन सोने चांदी पीतल तांबा अथवा मिट्टी की एक-एक कलश की स्थापना करें और उसमें पानी भर के पत्ते डालें। उसे पर भगवान नारायण के सुवर्णमय विग्रह की स्थापना करें।

एकादशी व्रत के दिन प्रात काल ब्रह्म मुहूर्त में नित्य क्रियाशील निवृत होकर स्नान करें उसके पश्चात पुष्प माला चंदन सुपारी पान नारियल इत्यादि अर्पण करके उस कलश की पूजा करनी चाहिए।

पूरे दिन कलश के समक्ष बैठकर कथा और आरती करनी चाहिए और साथ ही जागरण कीर्तन भी करनी चाहिए किसी का दीपक जलाने से व्रत की अखंड सिद्धि प्राप्ति होती है और उसके पक्ष द्वादशी के दिन नदी या तालाब के किनारे उसे कलश की विधिवत पूजा करके वह कलश ब्राम्हण को दान करना देना चाहिए।

इसलिए हे प्रभु राम आप तो जगत के स्वामी हैं आप सब कुछ कर सकते हैं। फिर भी यदि आप मेरे पास आए हैं तो मैं आपको अवश्य कहूंगा कि आप इस व्रत का पालन कीजिए ऐसा करने से आपको अवश्य विजय प्राप्त होगी।

मुनि की ऐसा कहने से प्रभु श्री रामचंद्र जी ने विजया एकादशी का व्रत किया उसे मृत के प्रभाव से श्री रामचंद्र जी विजई हुए। इसलिए जो भी विजया एकादशी का व्रत करता है वह अपने जीवन की विषम कठिनाइयों पर अवश्य विजय प्राप्त करेगा और अक्षय परलोक को प्राप्त होता है।

Vijaya ekadashi 2023 hindi me

सनातन धर्म में एकादशी पर्व का विशेष महत्व है इस दिन व्रती माता एकादशी का व्रत उपवास करते हैं। श्रीमद् भागवत महापुराण में भगवान श्री कृष्णा इस तिथि को अपने सामान ही माना है।

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है इस वर्ष विजया एकादशी व्रत का पर्व 16 फरवरी 2023 को दिन गुरुवार को रखा जाएगा।

FAQ: Vijaya ekadashi vrat Katha in hindi: विजया एकादशी

एकादशी का व्रत कब मनाया जाता है ?

फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है ।

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