Om Jai Ambe Gauri: ओम जय अंबे गौरी आरती

नवरात्रि का पर्व विशेष महत्वपूर्ण होता है वर्ष में दो बार नवरात्रि आती है। चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। ऐसे में मां दुर्गा को प्रसन्न करने हेतु सबसे प्रचलित Om Jai Ambe Gauri: ओम जय अंबे गौरी आरती lyrics इस लेख में आपको पढ़ने को मिलेगी ।

Om Jai Ambe Gauri: ओम जय अंबे गौरी आरती
Navratri 2023

Om Jai Ambe Gauri: ओम जय अंबे गौरी आरती

जय अम्बे गौरी

मैया जय श्यामा गौरी

तुमको निशिदिन ध्यावत

तुमको निशिदिन ध्यावत

हरि ब्रह्मा शिवरी

ॐ जय अम्बे गौरी

जय अम्बे गौरी

मैया जय श्यामा गौरी

तुमको निशिदिन ध्यावत

तुमको निशिदिन ध्यावत

हरि ब्रह्मा शिवरी

ॐ जय अम्बे गौरी

मांग सिंदूर विराजित

टीको जगमग तो

मैया टीको जगमग तो

उज्ज्वल से दोउ नैना

उज्ज्वल से दोउ नैना

चंद्रवदन नीको

ॐ जय अम्बे गौरी

कनक समान कलेवर

रक्ताम्बर राजै

मैया रक्ताम्बर राजै

रक्तपुष्प गल माला

रक्तपुष्प गल माला

कंठन पर साजै

ॐ जय अम्बे गौरी

केहरि वाहन राजत

खड्ग खप्पर धारी

मैया खड्ग खप्पर धारी

सुर नर मुनिजन सेवत

सुर नर मुनिजन सेवत

तिनके दुखहारी

ॐ जय अम्बे गौरी

कानन कुण्डल शोभित नासाग्रे मोती

मैया नासाग्रे मोती

कोटिक चंद्र दिवाकर

कोटिक चंद्र दिवाकर

सम राजत ज्योती

ॐ जय अम्बे गौरी

शुंभ निशुंभ बिदारे महिषासुर घाती

मैया महिषासुर घाती

धूम्र विलोचन नैना

धूम्र विलोचन नैना

निशदिन मदमाती

ॐ जय अम्बे गौरी

चण्ड-मुण्ड संहारे शोणित बीज हरे

मैया शोणित बीज हरे

मधु कैटभ दोउ मारे

मधु कैटभ दोउ मारे

सुर भयहिन करे

ॐ जय अम्बे गौरी

ब्रहमाणी रुद्राणी तुम कमला रानी

मैया तुम कमला रानी

अगम निगम बखानी

अगम निगम बखानी

तुम शिव पटरानी

ॐ जय अम्बे गौरी

चौंसठ योगिनी गावत नृत्य करत भैरों

मैया नृत्य करत भैरों

बाजत ताल मृदंगा

बाजत ताल मृदंगा

ओर बाजत डमरू

ॐ जय अम्बे गौरी

तुम ही जग की माता तुम ही हो भरता

मैया तुम ही हो भरता

भक्तन की दुख हरता

भक्तन की दुख हरता

सुख संपति करता

ॐ जय अम्बे गौरी

भुजा चार अति शोभित वर-मुद्रा धारी

मैया वर मुद्रा धारी

मनवांछित फल पावत

मनवांछित फल पावत

सेवत नर नारी

ॐ जय अम्बे गौरी

कंचन ढाल विराजत अगर कपूर बाती

मैया अगर कपूर बाती

श्रीमालकेतु में राजत

श्रीमालकेतु में राजत

कोटि रतन ज्योती

ॐ जय अम्बे गौरी

श्री अम्बे जी की आरती

जो कोई नर गावे

मैया जो कोई नर गावे

कहते शिवानंद स्वामी

कहते शिवानंद स्वामी

सुख सम्पति पावे

ॐ जय अम्बे गौरी

जय अम्बे गौरी

मैया जय श्यामा गौरी

तुमको निशिदिन ध्यावत

तुमको निशिदिन ध्यावत

हरि ब्रह्मा शिवरी

ॐ जय अम्बे गौरी

आरती उतारने के पीछे का विज्ञान, आरती कैसे उतारे, आरती उतारने का सही नियम

Shri Durga Chalisa

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहू लोक फैली उजियारी॥शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥तुम संसार शक्ति लै कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥धरयो रूप नरसिंह को अम्बा। परगट भई फाड़कर खम्बा॥रक्षा करि प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी।।
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥कर में खप्पर खड्ग विराजै ।जाको देख काल डर भाजै॥सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥नगरकोट में तुम्हीं विराजत। तिहूलोक में डंका बाजत।।शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥परी गाढ़ सन्तन र जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तबअमरपुरी अरु सब लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजे नर-नारी॥प्रेम भक्ति से जो यश गावे। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्ममरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥शक्ति रूप का मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥आशा तृष्णा निपट सतावें। मोह मदादिक सब बिनशावें॥शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला॥
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी। कहु कृपा जगदम्ब भवानी॥देवीदास शरण निज जानी। कहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
 
 
 

 

दुर्गा चालीसा क्या है ?

नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहू लोक फैली उजियारी॥शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला

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