Santoshi Mata Ki Aarti: संतोषी माता व्रत कथा

संतोषी माता वर्तमान समय में सबसे प्रचलित देवियों में से एक हैं।ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति santoshi Mata Ki Aarti जानना चाहता है। आज हम आपको Santoshi Mata Ki Aarti: संतोषी माता व्रत कथा और उसका पौराणिक कथा की जानकारी प्रदान करेंगे ।

Santoshi Mata Ki Aarti
Santoshi Mata Ki Aarti

Santoshi Mata Ki Aarti: संतोषी माता कि आरती

जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता।
अपने सेवक जन को, सुख संपत्ति दाता।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।
सुंदर, चीर सुनहरी, मां धारण कीन्हो।
हीरा पन्ना दमके, तन श्रृंगार लीन्हो।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।
गेरू लाल छटा छवि, बदन कमल सोहे।
मंद हंसत करूणामयी, त्रिभुवन जन मोहे।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।
स्वर्ण सिंहासन बैठी, चंवर ढुरे प्यारे।
धूप, दीप, मधुमेवा, भोग धरें न्यारे।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।
गुड़ अरु चना परमप्रिय, तामे संतोष कियो।
संतोषी कहलाई, भक्तन वैभव दियो।।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।जय शुक्रवार प्रिय मानत, आज दिवस सोही।
भक्त मण्डली छाई, कथा सुनत मोही।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।

मंदिर जगमग ज्योति, मंगल ध्वनि छाई।
विनय करें हम बालक, चरनन सिर नाई।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।

भक्ति भावमय पूजा, अंगीकृत कीजै।
जो मन बसे हमारे, इच्छा फल दीजै।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।

दुखी, दरिद्री ,रोगी , संकटमुक्त किए।
बहु धनधान्य भरे घर, सुख सौभाग्य दिए।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।

ध्यान धर्यो जिस जन ने, मनवांछित फल पायो।
पूजा कथा श्रवण कर, घर आनंद आयो।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।

शरण गहे की लज्जा, राखियो जगदंबे।
संकट तू ही निवारे, दयामयी अंबे।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ।

संतोषी मां की आरती, जो कोई नर गावे।
ॠद्धिसिद्धि सुख संपत्ति, जी भरकर पावे।
जय संतोषी माता, मैया जय संतोषी माता ( 2 बार)

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Santoshi Mata Ki Katha: संतोषी माता व्रत कथा

शिव पुराण के अनुसार गणेश जी की दो पत्नियों हैं जिनका नाम रिद्धि और सिद्धि है। गणेश जी की दोनों पत्नियों प्रजापति राजा विश्वकर्मा जी की पुत्रियां हैं। रिद्धि और सिद्धि दोनों की एक-एक पुत्र थे। सिद्धि से शुभ और ऋद्धि से लाभ नाम के एक-एक पुत्र उत्पन्न हुए । जिन्हें सारा संसार शुभ और लाभ नाम से जानता है।

गणेश जी के दो पुत्र भी हैं जिनकी पत्नियों का नाम तुष्टि और पुष्टि है। तुष्टि और पुष्टि को गणेश जी की बहू बताया गया है। तुष्टि और पुष्टि दोनों के एक एक पुत्र भी है उन पुत्रों के नाम आमोद और प्रमोद है। जो गणेश जी के पोते बताए गए हैं। शास्त्रों के अनुसार गणेश जी की का नाम संतोषी है। उन्ही संतोषी माता कि हम सब पूजा करते हैं।
 
शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश जी अपनी बुआ से रक्षाबंधन त्योहार पर रक्षा सूत्र धागा बांधवाने के के पश्चात भगवान गणेश ने अपनी बुआ जी को उपहार दिया। जब गणेश जी के पुत्रों ने इस त्यौहार के विषय में पूछा इस पर भगवान गणेश ने बताया कि यह मात्र एक राखी का धागा नहीं है कि यह एक सुरक्षा कवच है। यह रक्षा सूत्र स्नेह का प्रतीक है।
 
जब गणेश जी के दोनों पुत्र शुभ लाभ को यह पता चला तो उन्होंने गणेश जी से यह कहा कि हम यह पर्व कैसे निभाएंगे। जब हमारे पास कोई बहन ही नहीं है इसलिए पिता श्री हम चाहते हैं कि आप हमें भी एक बहन प्रदान करें।
 
गणेश जी अपने दोनों पुत्रों की भावना से प्रेरित हुई और उन्होंने अपनी शक्तियों से एक ज्योति उत्पन्न की और उनकी वह  ज्योति गणेश जी की दोनों पत्नियों के आत्म शक्ति के साथ उसे भी सम्मिलित कर लिया। और उनकी इस दिव्य ज्योति शक्ति नहीं कन्या का रूप धारण कर लिया इसके पश्चात भगवान गणेश की एक पुत्री का जन्म हुआ जिनका नाम देवी संतोषी रखा गया। भगवान गणेश की इन्हीं पुत्री आगे चलकर संतोषी माता नाम से प्रचलित हुई। आज पूरा संसार उन्हे संतोषी माता के नाम से जानता है।
 

संतोषी माता किसकी पुत्री हैं ?

संतोषी माता भगवान श्री गणेश जी की पुत्री हैं।

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