Basant Panchami In Hindi : बसंत पंचमी का वैज्ञानिक महत्व

भारत देश ऋतु और पर्व का त्यौहार है उन्हें में से एक त्यौहार बसंत पंचमी है। बसंत पंचमी ऋतु परिवर्तन का त्यौहार है परंतु क्या आप जानते हैं कि Basant panchami in Hindi : बसंत पंचमी का वैज्ञानिक महत्व क्या है ? Basant panchami का पर्व क्यों मनाया जाता है ? इसका वैज्ञानिक और आध्यात्मिक कारण क्या है ?

Basant Panchami In Hindi : बसंत पंचमी का वैज्ञानिक महत्व
Basant Panchami In Hindi

Basant panchami in Hindi : बसंत पंचमी

बसंत पंचमी त्योहार ऋतु परिवर्तन का त्यौहार है। इसमें किसी भी प्रकार का संदेह नहीं करना चाहिए परंतु बसंत ऋतु चैत्र और वैशाख यह दो प्रमुख माह माने गए हैं। परंतु बसंत का पर्व माघ में ही क्यों मनाया जाता है ? इसका कारण यह है कि मकर संक्रांति के पश्चात सूर्य उत्तरायण की तरफ हो जाता है । इस समय से बसंत ऋतु का प्रारंभ मानकर इस उत्सव का प्रचार हुआ है। परंतु शास्त्रों में इसकी शास्त्रीय पद्धति बताई जाती है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माघ महीने के शुक्र पक्ष की पंचमी को हरि का पूजन करना चाहिए और इस बसंत पंचमी को विद्वान लोगों से विद्या ग्रहण करनी चाहिए। नित्य क्रिया कर्म से निवृत होकर स्नान करने के पश्चात आभूषण और वस्त्रों को धारण करके माता सरस्वती की पूजा अर्चना करनी चाहिए। मां सरस्वती के साथ-साथ भगवान श्री विष्णु जी और कामदेव की भी पूजा की जाती है।

भगवान ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की तो उन्हें प्रकृति का निर्माण करना था जिसके लिए भगवान ब्रह्मा जी ने सरस्वती का प्राकट्य किया। जिसके पश्चात देवी सरस्वती जी ने सुंदर प्रकृति निर्माण किया। जिससे इस सृष्टि जगत की सुंदरता बढ़ गई जिसमें प्राणी निवास कर सकें। जिससे समस्त प्राणी पशु पक्षी और अन्य जीव इस सुंदर प्रकृति में विचरण कर सके।

माता सरस्वती को कंठ अर्थात वाणी की देवी कहा जाता है माना जाता है कि प्रत्येक प्राणी की वाणी में देवी सरस्वती का निवास होता है। मां सरस्वती की कृपा से ही प्रत्येक प्राणी यो को आवाज मिली। मां सरस्वती को विद्या और ज्ञान की देवी भी कहा जाता है। छोटे बच्चों को उनकी प्रारंभिक शिक्षा इसी दिन से प्रारंभ करना चाहिए। ऐसा करने से बच्चे अधिक उच्चतम गुणों को प्राप्त होते हैं।

आपने देखा होगा कि कोयल अपने मधुर वाणी की प्रारंभ बसंत ऋतु के आगमन के पश्चात ही करती है। बसंत ऋतु में सभी पेड़ पौधे एक में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। जिससे सभी पेड़ पौधों में नई पत्तियां फुल का प्रदुर्भाव होता है।

बसंत पंचमी पूजा

शास्त्रों के अनुसार देवी सरस्वती मां को पीला रंग अत्यधिक प्रिय है जिसके कारण इस दिन देवी सरस्वती की पूजा अर्चना में पीले रंग का वस्त्र धारण कर पूजा करना अत्यधिक शुभ माना जाता है।

इसका अर्थ है की पिला रंग ऊर्जा और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है। पीले रंग की दृष्टि पढ़ते ही हमारे शरीर में सकारात्मक शक्ति का संचार होता है जिससे हमारे शरीर में एक अनुकूल प्रभाव पड़ता है। इससे मन को प्रसन्नता का अनुभव होता है।

बसंत को ऋतुराज कहा जाता है जिस प्रकार किसी राजा के आगमन होता है तो उसके आने से पहले ही उसके स्वागत की तैयारी करने लगते हैं। ठीक उसी प्रकार ऋतुराज अर्थात बसंत पंचमी की स्वागत के लिए प्रगति की देवी तथा स्नेही पंचम भ्रमण कोयल, पेड़ पौधे इत्यादि सभी 40 दिन पहले से ही सुसज्जित होने लगते हैं।

वन उपवन में की सौरभ  गुण से संसार का मन सरोवर उभरने लगता है ठंड भी धीरे-धीरे भगवान श्री प्रभाकर का विस्तार देखकर पीछे हटने लगता है। सभी प्राणियों में एक अद्भुत भाव पैदा होने लगता है किसान लोग अपने परिश्रम को देखकर अत्यंत प्रसन्न होते हैं।

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वसंत पंचमी का महत्व : Basant Panchami Ka Mahatv

बसंत पंचमी के दिन रति और कामदेव की पूजा का भी विधान है । इसका कारण है कि जिससे हमारी पवित्रता रति तथा कामदेव हमारे ऊपर अत्यधिक प्रसन्न हो और हम अनिष्ट कार्यों में प्रवेश न करें। क्योंकि इनके प्रचण्ड ताप को बड़े-बड़े ऋषि महर्षि सहन नहीं कर सकते हैं तो हम मनुष्य की क्या समर्थ है।

कामदेव महाराज ऋतुराज के परम मित्र हैं अतः बसंत पंचमी के दिन उनकी अवश्य पूजा करनी चाहिए उनकी पूजा अतुल महिमा को  प्राप्त करता है । जब तक संसार जानता था तभी तक इसमें विपुल पराक्रमी दिव्य दृष्टि, वीर्य, पुरुष रत्न तथा पति पारायण कामनाएं पैदा होती थी।

आज उसीके अभाव से वृद्धो की कौन कहे नवयुवकों को भी बिना चश्मा के दिखाई नहीं पड़ता। थोड़े से ही भय की उपस्थित होने पर व्यक्ति यदि परास्त हो जाते हैं। किसी गुण विषय पर भी कुछ समय तक विचार नहीं कर सकते हैं। थोड़े से ही परिश्रम से मस्तिष्क घूमने  लगता है। क्योंकि धर्म की उन्नति में ही हमारी उन्नति है।

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