भोजन हमारे शरीर के लिए अमृत है।परंतु भोजन करने के कुछ नियम होते हैं।क्या आप जानते हैं Bhojan Ke Vaidik Niyam | भोजन करने के शास्त्रीय नियम क्या हैं ? हम आपको इस लेख में भोजन ग्रहण करने के वो नियम बताएंगे जिन नियमों का पालन करके प्राचीन काल के लोग दीर्घ आयु वाले होते थे।और उसके साथ साथ रोग मुक्त और सुखी जीवन व्यतीत करते थे।

Bhojan Ke Vaidik Niyam | भोजन करने के शास्त्रीय नियम
केवल दो ही समय भोजन करना चाहिए पहले भोजन 10 से लेकर 12:00 बजे की भीतर और दूसरा शाम को 7:00 बजे के पहले देर में करने से स्वप्नदोष होता है। दिन भर में एक बार भोजन करना सबसे अच्छा माना जाता है ऐसा कहा जाता है एक मुक्त सदा रोग मुक्त
शाम के भोजन करने के पश्चात दूध में मिश्री या गुड़ डालकर धीरे-धीरे पी लेना चाहिए ध्यान रहे कि चीनी का प्रयोग कभी ना करें क्योंकि आयुर्वेद में चीनी के प्रयोग का कहीं वर्णन नहीं मिलता। चीनी के प्रयोग से शुगर (मधुमेह) संबंधित रोगों की होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। ध्यान रखें कि दूध अत्यधिक गर्म नहीं होना चाहिए दूध गुनगुना या ठंडा होना चाहिए अधिक गर्म दूध पीने से स्वप्न दोष हो जाता है ।
Bhojan kaisa khana Chahiye : भोजन कैसा होना चाहिए।
अत्यधिक गरम-गरम भोजन नहीं करना चाहिए करते कम भोजन करने से वीर्य पतला हो जाता है। और इसके साथ-साथ कामना उत्पन्न होती है। गरम भोजन करने से और चाय पीने से हमारे दांत जल्दी टूट जाते हैं और आते दुर्बल पड़ जाती है इसके साथ-साथ कब्ज बन जाती है। और आंखों की ज्योति मंद पड़ जाती है।
भोजन सदैव ताजा और सदा करना चाहिए भोजन अनेक प्रकार का और दूषित भोजन तथा बासी होने पर भोजन का उपयोग खाने में कड़ाव ना करें इससे अनेक प्रकार के विकार उत्पन्न हो जाते हैं बासी भोजन करने से बुद्धि मंद पड़ जाती है और शरीर आलसी हो जाता है जिससे मनुष्य पाप कर्म में प्रवृत्ति करता है।
भोजन हमेशा आवश्यकता अनुसार ही करना चाहिए यदि भूख ना लगी हो तो भोजन नहीं खाना चाहिए क्योंकि जब हमारे शरीर में पचाने की शक्ति ही नहीं तो उस भोजन को ग्रहण करने से क्या फायदा ऐसा भोजन करने से हमारे शरीर में सड़ता है ना कि पचता है और यही भोजन न पचने के कारण कब्ज का कारण बनता है।जिससे हमारा पेट साफ नहीं होता है।
और अनेक प्रकार की गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ता है इसलिए भोजन तभी करें जब आपको भूख लगी हो बिना भूख भोजन कभी ना करें। भोजन को कभी भी हलक तक ठोस ठोस कर नहीं खाना चाहिए इससे आपकी शरीर को हानि पहुंचती है।परिश्रम करने के पश्चात अर्थात अधिक मेहनत करने के पश्चात भोजन अथवा पानी का सेवन तत्काल नहीं करना चाहिए।
Pani kaisa Pina chahiye : पानी कैसा पीना चाहिए
पानी खाना खाने के डेढ़ से 2 घंटे के बाद ही अवश्य पीना चाहिए क्योंकि खाना पचने के बाद वह एक रस में रूपांतरित होता है यह रस छोटी आंत में पहुंचने के बाद इसका रक्त में शोधन होता है और इस रस के शोधन में यदि पानी वहां ना हो तो नहीं हो सकता भोजन के तुरंत बाद और भोजन के तुरंत पहले पानी पीना विश् के समान है ।
पानी सदैव गुनगुना ही पीना चाहिए क्योंकि हमारे पाचन तंत्र का तापमान 37 डिग्री सेल्सियस रहता है यदि हम ठंडा पानी पी ले तो हमारे पेट को वापस जनतंत्र को फिर से 37 डिग्री सेल्सियस तक गर्म करने के लिए आसपास के किसी भी अवयव से अतिरिक्त रक्त लेना पड़ेगा इसके परिणाम स्वरूप जो अवयव अधिक बार रक्त भेजेगा वह अंग जैसे हृदय हाथ गुर्दा इत्यादि कमजोर हो जाएंगे वह उससे संबंधित रोग हो जाएंगे गर्मियों में आप मिट्टी के घड़े का पानी ही पी सकते हैं ना कि रेफ्रिजरेटर का।
Khana kaise banana chahiye
शास्त्रों के अनुसार जिस भोजन को पकाते समय सूर्य का प्रकाश व पवन का स्पर्श ना मिले वह भोजन विश् के समान है प्रेशर कुकर में भोजन पकाते समय सूर्य का प्रकाश नहीं पड़ता । भोजन पकाते समय सूर्य का प्रकाश मिलने के लिए बर्तन को बिना ढके भोजन पकाना होगा और बिना ढके पकाने से हवा का दबाव सामान्य रहता है।
जिसके फल स्वरुप प्रोटीन खराब नहीं होते प्रेशर कुकर के अंदर भोजन पकाते समय हवा का दबाव वातावरण से दो गुना हो जाता है।वह तापमान 120 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है जिसके फल स्वरुप दाल और सब्जी के प्रोटीन हानिकारक प्रोटीन में बदल जाते हैं।
Desi gay ka ghee: गाय का घी नाक में डालने के फायदे
क्या नहीं खाना चाहिए : kya nhi khana Chahiye
मैदा से बनी वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए मैदा गेहूं से ही बनता है पर मैदा में से सारे आवश्यक फाइबर निकाल लिए जाते हैं नूडल्स पिज़्ज़ा बर्गर पाव रोटी, डबल रोटी बिस्किट आदि अन्य चीज कभी ना खाएं जो सड़े हुए मैदे से बनते हैं मैदे की रोटी रबर जैसी होती है जो खाने के पश्चात हमारी आंतों में चिपक जाती है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक है।