Dhanteras 2023 Puja Vidhi In Hindi: धनवंतरी जी की पूजा कैसे करें

धनतेरस का पर वी दिवाली से एक दिन पहले मनाया जाता है इस छोटी दिवाली भी कहा जाता है। क्या आप जानते हैं कि धनतेरस का पर्व क्यों मनाया जाता है? पौराणिक मान्यताओं के अनुसार धनतेरस पर का इतिहास क्या है ? इस लेख में हम आपको Step by Step Dhanteras 2023 Puja Vidhi In Hindi: धनवंतरी जी की पूजा कैसे करें के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे।

Dhanteras 2023 Puja Vidhi In Hindi
Dhanteras 2023 Puja Vidhi In Hindi

Dhanteras 2023 Kab Manaya Jata Hai

धनतेरस का पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रतिपदा को मनाया जाता है ।  सनातन पंचांग के अनुसार धनतेरस का पर्व संवत् 2080 अर्थात 10 नवंबर 2023 दिन शुक्रवार को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा।धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी, गणेश जी और धन के स्वामी धनवंतरी अर्थात कुबेर की पूजा की जाती है।

Dhanteras Puja Samagri

  • धनतेरस पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान होना चाहिए।
  • पूजा स्थल पर बिछाने के लिए लाल वस्त्र
  • दिए जलाने के लिए मिट्टी के दिए होना चाहिए। मोमबत्ती किसी भी स्थिति में शुभ नहीं होता।
  • दीपक जलाने के लिए घी से सनी हुई बाती।
  • एक स्वच्छ और नई पूजा की थाली।
  • पूजा पान सुपारी विशेष रूप से होना चाहिए।
  • पूजा में हल्दी चंदन कुमकुम इत्यादि।
  • बांधने के लिए कलावा धागा होना चाहिए।
  • कपूर ,रोली,अक्षत।
  • टीका लगाने के लिए सिंदूर होना चाहिए।
  •  पानी से भरा कलश होना चाहिए।
  •  फल एवं दूध से बनी मिठाइयां।
  • खड़ी धनिया, नई झाड़ू
  • सिक्का
  • पूजा स्थल में स्वास्तिक का निशान बनना चाहिए।

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Dhanteras 2023 Puja Vidhi In Hindi

  1. प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नियुक्त कर्मों से निवृत्ति होकर स्नान करना चाहिए।
  2. समस्त पूजा स्थल तैयार कर आरती की थाली तैयार करना चाहिए।
  3. पूजा स्थल पर भगवान गणेश जी के साथ लक्ष्मी जी की प्रतिमा रखें तथा कुबेर जी की प्रतिमा साथ में रखें।
  4. आरती के साथ-साथ मंत्र मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
  5. आरती के उपरांत मां लक्ष्मी गणेश तथा भगवान कुबेर को नैवेद्य के रूप में पुष्प, मिष्ठान, चंदन,धूपबत्ती इत्यादि का अर्पण करना चाहिए।
  6. देवि लक्ष्मी और गणेश तथा भगवान कुबेर को प्रसाद का भोग लगाना चाहिए।
  7. इसके साथ-साथ आभूषण का प्रसाद चढ़ाना चाहिए।
  8. यदि आभूषण उपलब्ध न हो तो नारियल का प्रसाद चढ़ा देना चाहिए।

Dhanteras Ki Kahani

एक बार की बात है जब दानव और देवता आपस में मिलकर समुद्र मंथन कर रहे थे। तभी समुद्र मंथन के करते समय अमृत का एक घड़ा समुद्र मंथन में प्राप्त हुआ। सनातन शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के समय कार्तिक शुक्ल पक्ष त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत का घड़ा लेकर प्रकट हुए। भगवान विष्णु धनवंतरी का रूप रखकर अमृत कलश लेकर देवता और दानव दोनों के बीच में प्रकट हुए।

कार्तिक माह में त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के कारण उस दिन को धनतेरस कहते हैं। और उनके जन्म के उपलक्ष में यह त्यौहार मनाया जाता है चूंकि भगवान धन्वंतरि कलश लेकर प्रकट हुए थे इसलिए इस दिन घरों में नए-नए बर्तन खरीदने से सुख समृद्धि आती है। भगवान धन्वंतरि को देवताओं का वैद्य भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने देवताओं को अमृत पिलाकर उन्हें अमर बना दिया था इसलिए इस दिन नए-नए वस्तुएं बर्तन इत्यादि खरीदने से घर में सुख समृद्धि धन और ईश्वर की प्राप्ति होती है और मनुष्य दीर्घायु को प्राप्त होता है।

दीपावली का त्योहार 5 दिनों तक मनाया जाता है। धनतेरस के पड़ोसी दीपावली त्यौहार का प्रारंभ हो जाता है और यह त्यौहार लगातार 5 दिन तक चलता है। धनतेरस को छोटी दीपावली के नाम से भी जानते हैं। इसलिए इस दिन से लोग अपने घरों में मिट्टी के दिए जलाना प्रारंभ कर देते हैं। देवी देवताओं में लोग घी के दीए जलाते हैं। तथा लोग अपने घरों में प्रत्येक प्रमुख जगह में सरसों या राई अथवा काला लाहा के तेल का दीपक जलते हैं।

 

धनतेरस क्यों मनाया जाता है ?

सनातन शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के समय कार्तिक शुक्ल पक्ष त्रयोदशी के दिन भगवान धन्वंतरि अपने हाथों में अमृत का घड़ा लेकर प्रकट हुए। भगवान विष्णु धनवंतरी का रूप रखकर अमृत कलश लेकर देवता और दानव दोनों के बीच में प्रकट हुए।

धनतेरस 2023 में कब है ?

सनातन पंचांग के अनुसार धनतेरस का पर्व संवत् 2080 अर्थात 10 नवंबर 2023 दिन शुक्रवार को धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा।

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