Ganesh chaturthi 2023, Ganesh chaturthi kyon manayi jati hai,Ganesh ji ki puja kaise karen

भगवान श्री गणेश का जन्म शिव पुराण के अनुसार भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष चतुर्थी को रात्रि के प्रथम प्रहर में हुआ था जो गणेश चतुर्थी कहलाती है।  Ganesh chaturthi 2023 में कब है ।और Ganesh chaturthi kyon manayi jati hai इसके विषय में  जानकारी विस्तार पूर्वक बताएंगे तथा Ganesh ji ki puja kaise karen इस लेख में हम आपको बताएंगे।

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गणेश चतुर्थी

Ganesh chaturthi 2023

इस वर्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष में गणेश चतुर्थी का प्रारंभ 18 सितंबर 2023 को अपराहन 2:09 पर हो रही है। तथा इस तिथि का की समाप्ति 19 सितंबर 2023 को अपराहन 3:13 पर होगी। सनातन परंपरा के अनुसार उदिया तिथि होने के कारण गणेश चतुर्थी 19 सितंबर 2023 को ही मनाई जाएगी।

Ganesh chaturthi kyon manayi jati hai

भगवान श्री गणेश का जन्म शिव पुराण के अनुसार भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष चतुर्थी को रात्रि के प्रथम प्रहर में हुआ था। वही तिथि गणेश चतुर्थी कहलाती है। भगवान शिव ने जब त्रिशूल से बाल गणेश का सिर छेदन कर दिया था। तब पार्वती द्वारा उत्पन्न शक्तियों ने प्रलय मचा दिया था। परंतु इस समय भगवान विष्णु ने हाथी के शिशु का सिर जोड़कर गणेश जी को जीवित कर दिया था तो पार्वती जी प्रसन्न हो गई थी। भगवान शिव ने गणेश जी को अनेक वरदान दिए थे जिनके अनुसार वे देवों के देव ,सर्वप्रथम पूज्य ,विघ्न विनाशक और मंगल वा सिद्ध प्रदाता बने।

इस समय भगवान शिव जी ने गणेश जी को यह वरदान भी दिया था कि जो व्यक्ति तुम्हारी जन्म तिथि अर्थात गणेश चतुर्थी से व्रत प्रारंभ करके प्रत्येक माह की इसी तिथि को तुम्हारा पूजन और व्रत करेगा उसे सभी सिद्धियां प्राप्त होगी । भगवान शिव कहते हैं कि जो मनुष्य गणेश चतुर्थी के दिन श्रद्धा विश्वास और भक्ति से श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत उपवास करेगा सहस्त्रनाम से विधि पूर्वक पूजा करेगा उसके सभी विघ्न सदा के लिए नाश हो जाएंगे उसके कार्य सिद्ध होते रहेंगे।

Ganesh ji ki puja kaise karen

(बहुला चौथ, करवा चौथ ,तिल चौथ)

गणेश चतुर्थी या बहुला चौथ भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी

करवा चौथ- कार्तिक कृष्ण चतुर्थी

तिल चौथ या संकट चौथ -माघ कृष्ण चतुर्थी

मां काली कैसे प्रकट हुई मां काली को कैसे प्रसन्न करें पढ़ें :-

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इन तीनों चतुर्थी के व्रत विधान एक समान है। व्रत उपवास करने वाली स्त्री या पुरुष प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नृत्य कम से निवृत्ति होकर भगवान गणेश की विधि विधान पूर्वक पूजन कर दिन भर गणेश जी के सहस्त्रनाम का पाठ करें तथा गणेश जी के समक्ष निम्न अनुसार प्रसाद रखें

गणेश चतुर्थी के दिन चूरमे के लड्डू (आटे,घी,शक्कर से निर्मित )

करवा चौथ -10 दीपक प्रज्वलित करके करवे पकवान से भरे

तिल चौथ – गुड़ व तिली से निर्मित लड्डू  चढ़ाएं,फिर गणेश जी को अर्घ्य दे,चतुर्थी तिथि को अर्घ्य दें। बाद में चंद्रमा को अर्घ्य दें। चंद्रमा को सात बार अर्घ्य दिया जाता है।अर्घ्य के बाद गणेश जी को प्रणाम करें अपने पति की मंगल कामना कर पति के दर्शन करें फिर विद्वान ब्राह्मण को भोजन कराएं एवं दक्षिणा देकर स्वयं भोजन करें यही चतुर्थी व्रत की विधि है।

गणेश जी पर लाल फूल वह दूब ही क्यों चढ़ाते हैं?

मूर्ति शास्त्र के अनुसार भगवान गणेश का रंग लाल है। हमारे शरीर में का पहला चक्र मूलाधार है । गणपति उसे चक्र के स्वामी है मूलाधार चक्र का जो कमल है । उसका रंग लाल है। लाल रंग के पुष्पों का स्पंदन गणेश तत्व से मेल खाता है। इस कारण गणेश पवित्रता व स्पंदन की ओर शीघ्रता से आकर्षित होते हैं और जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। गणेश जी के पूजन में लाल फूलों के साथ-साथ लाल वस्त्र व लाल रक्त चंदन का भी प्रयोग किया जाता है इन सब के पीछे यही विज्ञान है।

लाल रंग के पुष्पों के अतिरिक्त भगवान गणेश पर दूब (कोमल घास )भी चढ़ाई जाती है। दूर्वा में भी गणेश तत्व को आकर्षित करने की शक्ति है। इसलिए गणेश जी पर 1,3,5,7(१,३,५,७)की संख्या में डूब चढ़ाने का विधान है।

जिन प्रतिमा या चित्रों पर लाल रंग के फूल वह दूर्वा चढ़ाई जाती है वह मूर्ति वह चित्र गणेश तत्व से शीघ्र ही जागृत हो जाते हैं और घर में सुख शांति लाते हैं इन्हीं कर्म से गणेश जी की प्रतिमा पर लाल रंग के फूल लाल चंदन लाल वस्त्र व दूर्वा घास ही चढ़ाने चाहिए ताकि गणपति रिद्धि सिद्धि तथा श्री प्रदान करें।

गणेश जी की आरती

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।

निर्विघ्न कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।

माता थारी पार्वती पिता महादेवा।।

धूप चढ़े बेल चढ़े और चढ़े मेवा।

लड्डू वन का भोग लगे संत करें सेवा।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।

माता थारी पार्वती पिता महादेवा।।

एकदंत दयावंत चार भुजा धारी।

मस्तक सिंदूर सोहे मूषक की सवारी।।

अंधन को आंख देत कोढ़ी को काया। 

बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया।।

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।

माता थारी पार्वती पिता महादेवा।।

 

Ganesh chaturthi 2023 in hindi

इस वर्ष भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष में गणेश चतुर्थीगणेश चतुर्थी का प्रारंभ 18 सितंबर 2023 को अपराहन 2:09 पर हो रही है। तथा इस तिथि का की समाप्ति 19 सितंबर 2023 को अपराहन 3:13 पर होगी। सनातन परंपरा के अनुसार उदिया तिथि होने के कारण गणेश चतुर्थी 19 सितंबर 2023 को ही मनाई जाएगी।

गणेश जी पर लाल फूल व दूब क्यों चढ़ाते हैं?

मूर्ति शास्त्र के अनुसार भगवान गणेश का रंग लाल है। मूलाधार चक्र का जो कमल है । उसका रंग लाल है। लाल रंग के पुष्पों का स्पंदन गणेश तत्व से मेल खाता है। गणेश जी के पूजन में लाल फूलों के साथ-साथ लाल वस्त्र व लाल रक्त चंदन का भी प्रयोग किया

सबसे पहले गणेश जी की पूजा क्यों की जाती है?

ब्रह्मांड की परिक्रमा सबसे पहले गणेश जी ने किया था क्योंकि गणेश जी भगवान शंकर और माता पार्वती की परिक्रमा को ब्रह्मांड की परिक्रमा से बढ़कर माना है। भगवान गणेश ने शिव पार्वती कैलाश पर्वत विराजमान थे और उन्हीं की परिक्रमा कर ली।

गणेश जी की सबसे पहले पूजा का कारण

गणेश जी हमारी नाद भाषा को देवताओं की प्रकाश भाषा में रूपांतरित कर देते हैं। और इस प्रकार से हमारी प्रार्थना गणेश जी की कृपा से दूसरे देवताओं तक पहुंच जाती है इन्हीं कारणों से गणेश पूजन सर्वप्रथम किया जाता है।

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