घोड़े के नाल की अंगूठी पहनने के लाभ | Ghode Ki Naal Ki Anguthi

सनातन धर्म के प्रत्येक आभूषणों का अपना एक वैज्ञानिक महत्व है। उसी में से एक है ।Ghode Ki Naal Ki Anguthi परंतु क्या आप जानते हैं कि घोड़े के नाल की अंगूठी पहनने के लाभ | Ghode Ki Naal Ki Anguthi कैसे होता है इस लेख में हम घोड़े की नाल की अंगूठी किस प्रकार की होनी चाहिए तथा उसका वैज्ञानिक कारण क्या है विस्तार पढ़ें।

घोड़े के नाल की अंगूठी पहनने के लाभ | Ghode Ki Naal Ki Anguthi
घोड़े के नाल की अंगूठी पहनने के लाभ

Ghode Ke Naal Ki Anguthi Ka Vigyan

शनि नवग्रह में अपना अलग ही स्थान रखते हैं। पुराणों में इन्हें प्रकृति का निर्णायक कहा गया है। चित्रगुप्त मनुष्य के अच्छे बुरे कर्मों का लेखा-जोखा जो रखते हैं शनिदेव उन पर एक निष्पक्ष न्यायाधीश की तरह निर्णय लेते हैं और कर्म अनुसार दंड देते हैं।

शनि सूर्य व उनकी दूसरी पत्नी छाया के पुत्र हैं। यह नील वर्ण हैं। कुछ के अनुसार यह श्याम वर्ल्ड के हैं। शनि का रत्न इंद्रनील (नीलम ) है। इनका अनाज काले उड़द, वस्त्रो का रंग काला, वाहन गिद्ध और धातु लोहा है। सौरमंडल का यह अद्वितीय और अनूठा ग्रह किसी भी व्यक्ति को राजा से रंक और रंक से राजा बनाने की क्षमता रखता है।

हमारे प्राचीन तत्व विज्ञान के अनुसार शनि ग्रह में वायु तत्व प्रदान होता है जिस व्यक्ति के शरीर में वायु दोष होगा। उस व्यक्ति को वायु विकार के रोग होंगे जैसे जोड़ों में दर्द पेट में गैस बनना घुटनों और कोहनियों में पीड़ा आदि।

तत्व तत्व विज्ञान के अनुसार जिस तत्व के कारण जब कोई विकार पैदा होता है। तब उसी के विरोधी तत्व को लेने या धारण करने से पीड़ा व दोष का समापन हो जाता है। वायु विकार दूर करने के लिए और शनि ग्रह के बुरे प्रभाव को शांत करने के लिए ऋषि मुनियों ने घोड़े की नाल की अंगूठी और छल्ला धारण करना श्रेष्ठ माना है।

वास्तु शास्त्र का विज्ञान क्या है

Ghode Ki Naal Ki Anguthi

प्राचीन सनातन हिंदू धर्म के ऋषि मुनियों ने इस विषय में अत्यंत गहराई से अध्ययन किया जिस घोड़े की नाल से छल्ला बनाना होता है । वह शहरों में तांगें या टमटम के आगे जुतने वाले घोड़े की नाल से नहीं बना होना चाहिए। शहरों (नगर) की पक्की सड़कों पर चलने वाले घोड़े की नाल में वह तत्व नहीं पाया जाता जो शनि दोष वह वायु विकार को दूर कर सके।

इसके लिए ऐसा घोड़ा ढूंढा जाता है जो कई वर्षों से घने जंगलों में दौड़ता रहा हो जंगल की मिट्टी से और वहां की जंगली घास जड़ी बूटियां से उसकी नाल में वह सब तत्व समा जाते हैं जो शनि दोष को दूर करने में सक्षम होते हैं। जंगल और घास पर दौड़ने वाले घोड़े में एक और विशेषता यह भी होने चाहिए।

वह घोड़ा काले रंग का हो क्योंकि काला रंग शनि का अपना रंग है । रंग विज्ञान के अनुसार काला रंग सूर्य के सातों रंगों को अपने में समा लेता है इसका अर्थ यह हुआ कि काले घोड़े में सूर्य शक्ति को समाविष्ट करने की क्षमता दूसरे रंग के घोड़े से अधिक होती है।

घोड़े के नाल की अंगूठी पहनने के लाभ : Ghode ki naal ki anguthi ke fayde

सूर्य की सौर शक्ति के कारण काले घोड़े के पैरों में लगी नाल लगातार सूर्य की गर्मी ग्रहण करते रहती है। सूर्य की गर्मी के साथ-साथ एक और विज्ञान इस घोड़े की नाल पर कार्य करता है वह है उसका सतत जमीन पर तप तप चलना है । जिससे उसका लोहा विशिष्ट बन जाता है उस लोहे पर लगातार टप टप चोट से उसकी आंतरिक गुण अनु रचना बदल जाती है ।

अर्थात नाल के लोहे का आंतरिक एटॉमिक स्ट्रक्चर (atomic structure) सतत टप टप चाल से बदल जाता है। ऐसी विशिष्ट नल के लोहे से बना छल्ला या अंगूठी अवश्य ही शनि दोष निवारण का अचूक उपाय है पर क्या ऐसा घोड़ा मिलना आसान है । ऐसे घोड़े के अगले दाहिने पैरों की नाल से बना छल्ला धारण करें तो यह आपको मनोवांछित फल देगा।

परंतु वर्तमान समय में प्रत्येक जगह काले घोड़े की नाल आराम से मिल जाती है पर यह हमारे किसी काम की नहीं होती क्योंकि बाजार में बिकने वाले घोड़े की नाल सामान्यतः घोड़े के नाल के होते ही नहीं है और यदि वह घोड़े के नाल के होते भी है तो वह शहरों में चलने वाले घोड़े के होते हैं।

जिससे उनके पैर जमीन पर पड़ते ही नहीं वह तो सड़क पर चलते हैं ।और साथ ही साथ में घोड़े काले हैं या नहीं यह भी किसी भी तरह से स्पष्ट नहीं होता। इसलिए ऐसे नल के छालों में वह विशिष्टता नहीं पाई जाती अब अगर ऐसे लोहे का छल्ला शनि दोष निवारण नहीं कर पा रहा है तो इसके पीछे जो विज्ञान है उसका क्या दोष है ?

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