Gudi padwa 2024 in hindi | गुड़ी पड़वा पर्व क्यों मनाया जाता है

भारत त्योहारों का देश है उन्हीं त्योहारों में से एक त्योहार गुड़ी पड़वा पर्व।  परंतु क्या आप जानते हैं कि Gudi padwa 2024 in hindi | गुड़ी पड़वा पर्व क्यों मनाया जाता है ।  Gudi padwa का महत्व क्या है। Gudi padwa parv ki Puja vidhi( पूजा विधि) और puja samagri kya hai ( पूजा सामग्री) । सम्पूर्ण जानकारी पढ़ें।

Gudi padwa 2024 in hindi | गुड़ी पड़वा पर्व क्यों मनाया जाता है
Gudi padwa 2024 in hindi |

Gudi padwa 2024 in hindi

गुड़ी पड़वा चैत्र मास कि शुक्ल पक्ष प्रतिपदा अर्थात चैत्र माह के पहले दिन मनाया जाता है। गुड़ी का हिंदी में अर्थ विजय होता है। और पड़वा का अर्थ होता है चैत्र मास के शुक्ल पक्ष का पहला दिन। इस पर्व को वर्ष प्रदीपदा अथवा युगादि और उगादि के नाम से भी जाना जाता है।इस वर्ष गुड़ी पड़वा पर्व 9 अप्रैल 2024 दिन मंगलवार को मनाया जाएगा।

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Gudi padwa | गुड़ी पड़वा पर्व क्यों मनाया जाता है

पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग में अर्थात रामायण काल में जब रावण ने माता सीता का अपहरण कर लिया था।और उसके पश्चात जब भगवान श्रीराम को पता चला कि लंकापति रावण ने सीता का हरण कर लिया है। तो वे उन्हें खोजते हुए दक्षिण भारत पहुंचे।

यहां एक समय राजा बलि का शासन हुआ करता था। वहां एक दिन प्रभु श्री राम और लक्ष्मण जी का मिलाप सुग्रीव से हुआ। सुग्रीव ने श्री राम को बाली के कुशासन कि जानकारी प्रदान किया। उनकी सहायता करने में अपनी असमर्थता प्रकट की इसके बाद भगवान श्री राम ने बालि का वध कर दक्षिण भारत के लोगों को उससे स्वतंत्र कराकर सुग्रीव को शासन सौंपा और वह दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का था ।

ऐसा माना जाता है कि तभी से इस दिन गुड़ी पड़वा अर्थात् विजय पताका फहराई जाती है। इस दिन लोग आम के पत्तों से घर को सजाते हैं। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक व महाराष्ट्र में इस पर्व को लेकर काफी उल्लास होता है । सृष्टि के निर्माण का यह दिन एक भारतीय के लिए अहम है।

हम भारतीय सनातन संस्कृति अर्थात हिंदू कैलेंडर की बात करें तो हमारा नव वर्ष चैत्र से ही शुरू होता है। एक धार्मिक मान्यता के अनुसार इसी दिन ईश्वर ने प्रकृति को प्रकट किया था। इसलिए गुड़ी पड़वा को नया वर्ष अथवा नवसंवत्सर भी कहते हैं।

इसके अलावा महान गणितज्ञ भास्कराचार्य जी ने भी इसी तिथि पर सूर्योदय से सूर्यास्त तक के दिन, महीने और वर्ष की रचना करते हुए पंचांग भी रचा था। एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार शालीवाहन नामक व्यक्ति के पुत्र को उसके दुश्मन बहुत कष्ट थे। परंतु वह अपने शत्रुओं से कमजोर होने के कारण उनसे युद्ध नहीं कर सकता था।

तब उसने एक युक्ति निकाली और सेना से लड़ने के लिए मिट्टी के सैनिकों का निर्माण किया और उनकी एक सेना बनाकर उसके ऊपर पानी छिड़क दिया और उनमें प्राण स्थापित कर दिया। उन सैनिकों में ऐसा कहा जाता है कि जब शत्रु आए तो कुम्हार के बेटे ने जो सेना बनाया था उस सेना के साथ मिलकर उन्होंने शत्रु के साथ युद्ध किया और विजय प्राप्त की।

तब से शालीवाहन शक का प्रारंभ हुआ इस दिन से महाराष्ट्र मराठी पंचांग के अनुसार नया साल आरंभ हो जाता है। इसका पहला महीना चैत्र यानी कि चैतन्य खुशहाली का होता है। हिंदू कैलेंडर का आखिरी महीना फाल्गुन होता है। फाल्गुन के महीने में होली का त्यौहार मनाया जाता है सारी सूखी लकड़ियां जलाई जाती हैं।

चैत्र के महीने से पेड़ों पर नए-नए पत्ते आने शुरू हो जाते हैं। इसलिए भी इस महीने को बहुत खास माना जाता है आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में भी इसे नए साल के रूप में मनाया जाता है। जहां गुड़ी पड़वा पर्व को लेकर अलग-अलग तरह की कथाएं प्रचलित है। इस अवसर पर इस दिन विशेष प्रकार का प्रसाद भी वितरित किया जाता है ।

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Gudi padwa ka mahatv

ऐसा कहा जाता है कि जो भी बिना कुछ खाए पिए इस प्रसाद को ग्रहण करता है वह सदैव निरोगी रहता है उससे बीमारियां से दूर रहती हैं भारत के महाराष्ट्र , आंध्र प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में इस पर्व को 9 दिनों तक विशेष विधि विधान और पूजा के साथ मनाने का चलन है। इस उत्सव का समापन रामनवमी के दिन होता है। चैत्र माह में आने वाले नवरात्रि को वसंतिक नवरात्र और चैत्र नवरात्रि भी कहा जाता है।

गुड़ी पड़वा के दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं। रंगोली और तोरण दीवार बनाकर घरों को सजाते हैं। गुड़ी पड़वा के दिन लोग अपने घर के मुख्य द्वार के आगे एक गुड़ी (झंडा) रखते हैं । गुड़ी के ऊपर नीम के पत्ते और बताशे दोनों लगाना बहुत शुभ माना जाता है । क्योंकि नीम के पत्ते से मन की सारी कड़वाहट दूर हो जाती है। और बतासों से आने वाली जिंदगी में और भी मिठास बढ़ जाती है ।

गुड़ी पड़वा पर्व पर तरह-तरह के पकवान घर पर ही बनाए जाते हैं। जैसे कि श्रीखंड पूरी, बांसुरी पूरी, खीर पूरी जैसे कई पकवान बनते हैं। इस पर्व पर लोग विशेष तौर पर पारंपरिक वस्तु पहनते हैं। जिसमें औरतें नौवारी साड़ी या पठानी साड़ी पहनकर सजती संवरती हैं। जबकि पुरुष कुर्ता पजामा या धोती कुर्ता पहनते हैं।

Gudi padwa 2024 in hindi | गुड़ी पड़वा पर्व क्यों मनाया जाता है
Gudi padwa 2024 in hindi |

Gudi padwa puja samagri

गुड़ी पड़वा की पूजा के लिए जिन चीजों की आवश्यकता है। वह इस प्रकार है फूल और कलश रंगोली बना हुआ, कुछ खिले फूल, आम के पत्ते, लाल कपड़ा, नीम के पत्ते, नारियल, नया ब्लाउज का पीस, बॉर्डर वाली साड़ी या फिर चुनरी, बताशे की माला, गेंदा फूल और आम के पत्तों की माला मिठाई ,पीतल,तांबे या चांदी का कलश चौकी और 7 फीट लंबी बांस की डंडी आदि।

गुड़ी पड़वा के दिन सुबह उठकर लोग सबसे पहले नीम का पत्ता खाते हैं कहा जाता है कि इस पत्ते को खाने से शरीर की सब बीमारियां दूर हो जाती है रंगोली और तोरण लगाने के बाद भगवान की पूजा की जाती है । इसके बाद गुड़ी लगाने या उभारने की तैयारी की जाती है। सबसे पहले एक बांस की डंडी लेकर उसे साफ करके एक नया ब्लाउज का पीस बॉर्डर वाली साड़ी या चुनरी लगाई जाती है ।

उसके ऊपर आम के पत्ते, नीम के पत्ते, फूलों की माला और बताशे की एक माला एक साथ बांधी जाती है। इसके बाद गुडी के ऊपर तांबे पीतल या चांदी के कलश को रखा जाता है। कलश के ऊपर स्वास्तिक चिन्ह और हल्दी कुमकुम लगाया जाता है फिर दरवाजे के ऊपर बाहर या बालकनी में पूर्व की दिशा में चौकी बिछाई जाती है । उस चौकी के ऊपर लाल कपड़ा बिछाया जाता है ।

उसे लाल कपड़े पर एक नारियल और फूल रखा जाता है । इसके बाद कुछ लोग गुड़ी स्थापित करने के लिए गमले का उपयोग करते हैं। फिर गुड़ी के सामने मीठे पकवान का भोग लगाते हैं कि घर में गुड़ी की पूजा पंडित जी करवाते हैं और कुछ घरों में घर के बड़े बुजुर्ग पूजा करवाते हैं।

गुड़ी पड़वा का त्योहार सब लोग मिलकर खुशी-खुशी मनाते हैं। अपने-अपने रिश्तेदारों के यहां जाकर उन्हें नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं। इस तरह से यह गुडी पड़वा का त्योहार पूरे दक्षिण भारत में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। साथ ही शाम होने से पहले गुड़ी को उतारा जाता है। और उस पर लगी बताशे की माला को पूरे घर में बांटा जाता है।

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