हिंदू नव वर्ष चैत्र माह से क्यों | Hindu Nya Saal Kab Hota Hai

हिंदू नव वर्ष सनातन परंपरा के अनुसार इस दिन से हिंदू धर्म में पंचांग का प्रारंभ होता है। परंतु क्या आप जानते हैं कि हिंदू नव वर्ष चैत्र माह से क्यों | Hindu Nya Saal Kab Hota Hai । हिंदू नव वर्ष कब से प्रारंभ होता है और विक्रम संवत क्या है इस लेख में हम आपको विस्तृत जानकारी देंगे।

हिंदू नव वर्ष चैत्र माह से क्यों

Hindu Nya Saal Kab Hota Hai | हिंदू नव वर्ष

श्रेष्ठ की रचना का प्रारंभ से ही वर्ष का प्रारंभ करना शुभ माना जाता है वर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को सूर्योदय के समय भगवान ब्रह्मा सृष्टि की रचना करते हैं। विषुवत रेखा पर सृष्टि उत्पत्ति का प्रथम काल सूर्योदय तथा आदित्यवार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा है। इस समय से मास(माह) वर्ष युग आदि की एक साथ प्रविष्टि हुई।

जिस प्रकार महीना में पहला मानचित्र तथा तिथियां में प्रथम प्रतिपदा, दिनों में पहला दिन रविवार एवं ऋतुओं में प्रथम ऋतु बसंत ऋतु, पक्ष में प्रथम पक्ष शुक्ल पक्ष, ठीक उसी प्रकार नक्षत्र में पहले नक्षत्र अश्विनी का है। सभी प्रमाण तथा नक्षत्र का युक्ति से ग्रहण करने से सृष्टि उत्पत्ति का कारण चैत्र शुक्ल का प्रतिपदा बसंत ऋतु रविवार अश्विनी नक्षत्र सूर्योदय है।

इन सभी प्रमाण उपलब्ध होने के पश्चात यह प्रतीत होता है कि सभी प्राणियों की उत्पत्ति का यही काल यही है। मानव कि उत्त्पति के पश्चात वेदों की रचना भी इन्ही तिथियों से प्रारंभ हुआ। वेदों की रचना का संबंध मानव जाति विशेष से है ।

पृथ्वी तथा मानव आत्माओं के उपभोग के अन्य पदार्थ जल, अग्नि, वायु,आकाश की उत्पत्ति का काल इसी काल से भी पूर्व माना जाता है। इस समय विषय के निर्णय में एक यह संदेह भी उत्पन्न होता है कि यह एक अरब 96 करोड़ वर्ष वाला कौन सा समय है।तो इस प्रश्न का उत्तर भी यही वही काल है जिस समय मनुष्य उत्पन्न हुए।

Hindu Nav Varsh 2024

हिंदू नव वर्ष 9 अप्रैल 2024 को मनाया जाएगा। सनातन पंचांग के अनुसार 9 अप्रैल को विक्रम संवत 2081 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की तिथि के दिन हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ होगा। इसी दिन से हिंदू पंचांग का प्रारंभ भी होगा।

चैत्र माह में ही किसान की फसल का निवारण होता है। चैत्र माह में ही किसानों के परिश्रम का फल अनाज के रूप में मिलता है जो उन्हें अत्यंत प्रफुल्लित कर देता है। चैत्र माह में ही नवरात्रि का उत्सव होता है इसी के साथ-साथ इस दिन से त्योहार का प्रारंभ भी हो जाता है।

विक्रम संवत का प्रारंभ क्यों

विक्रम संवत का प्रारंभ चंद्रगुप्त विक्रमादित्य मौर्य ने किया था। चंद्रगुप्त मौर्य ने अपनी पंचांग की शुरुआत विक्रम संवत के नाम से की थी। चंद्रगुप्त मौर्य ने चैत्र मा शुक्ल पक्ष प्रतिपदा शुक्ल पक्ष रविवार का दिन अश्विनी नक्षत्र ग्रहण इत्यादि देख कर ही इसी दिन को विक्रम संवत की मान्यता दी थी।

क्योंकि चंद्रगुप्त मौर्य ने वेदों में लिखो प्रमाण के अनुसार सृष्टि की रचना का प्रारंभ कल क्षेत्र माही मानते थे इसी कारण उन्होंने विक्रम संवत कर प्रारंभ चैत्र माह से ही किया। विक्रम संवत का नाम विक्रमादित्य के नाम पर ही पड़ा।

विक्रमादित्य मौर्य ने 57 ईसा पूर्व पहले ही विक्रम संवत का प्रारंभ कर दिया था। ई में 57 वर्ष जोड़ने के पश्चात आपको विक्रम संवत प्राप्त होता है। राजा विक्रमादित्य ने शकों पर अपनी जीत के उपलक्ष में इस पंचांग की स्थापना की थी। 

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हिन्दू नव वर्ष का महत्व : Hindu Nav Varsh

चैत्र माह में बसंत ऋतु का आगमन 40 दिन पहले से ही हो चुका होता है जिसके कारण प्रकृति हरी-भरी दिखाई पड़ती है और पेड़ पौधों में नवीन ऊर्जा का संचार होता है उनमें नई-नई पत्तियां, कोंपले, फूल एवं कलियां जन्म लेती हैं।

आम की बौर(फूल) से संपूर्ण प्रकृति सुगंधित हो उठती है। कोयल की मधुर वाणी से संपूर्ण प्रकृति गुंजायमान हो जाती है। जिससे प्राणियों के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

संपूर्ण भारतवर्ष में चैत्र माह मैं विशाल मेलों का आयोजन होता है। लोग इस माह में अपने क्षेत्रीय गीतों के साथ नए वर्ष का स्वागत करते हैं। दक्षिण भारत में इस त्यौहार को गुडी पड़वा पर्व के रूप में मनाते हैं।

वर्तमान भारत सरकार ने भी चैत्र माह से ही विद्यालयों कॉलेज में नवीनतम प्रवेश प्रारंभ कर दिया है। और विद्यार्थियों की शिक्षा का प्रारंभ इसी माह के सत्र से प्रारम्भ हो चुका है। बैंक वित्तीय प्रणाली प्रणाली में चैत्र माह से ही प्रारंभ और इसका अंत होता है।

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