हिंदू सनातन धर्म क्या है| Hindu Sanatan Dharm Kya Hai

इस लेख में हम आपको बताएंगे कि  Hindu Sanatan Dharm Kya Hai , Dharma Kya Hai, (धर्म का सत्य क्या है) धर्म का आधार क्या है ? हिंदू धर्म, वैदिक धर्म , आर्य धर्म, सनातन धर्म क्या है ? इन धर्म में अंतर क्या है ? यह सब एक ही धर्म हैं या कोई अंतर है। इस लेख में हम आपको Sanatan Dharm (सनातन धर्म) की सत्यता का बोध करवाएंगे चलिए शुरू करते हैं।

हिंदू सनातन धर्म क्या है| Hindu Sanatan Dharm Kya Hai
हिंदू सनातन धर्म क्या है| Hindu Sanatan Dharm Kya Hai

हिंदू सनातन धर्म क्या है| Hindu Sanatan Dharm Kya Hai

अपने सनातनी भाइयों को भी इसके बारे में बताएं ईश्वर अजन्मा है। लेकिन उनके रूप अनेक है।कुछ एक को छोड़कर उक्त अनेक के आधार पर नियम, पूजा, तीरथ आदि कर्मकांड को सनातन धर्म का अंत नहीं माना जा सकता। यही सनातन सत्य है और यही सनातन धर्म है।

यह एकमात्र ऐसा धर्म है जो आदि अनंत काल से चला रहा है और यह हमें परम और मोक्ष का मार्ग बताता है। यह हमें किसी चीज का लालच नहीं देता बल्कि यह हमें उन लालची चीजों से मुक्त होने का मार्ग बताता है। सनातन धर्म के इतिहास को यदि वेदों के अनुसार जाना जाए तो ऋग्वेद में सनातन धर्म की कुछ इस तरह से व्याख्या की गई है।

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Sanatan dharm ka arth : सनातन धर्म का अर्थ

सत्यम शिवम सुंदरम, इसका पूरा अर्थ है यह पद सनातन है। समस्त देवता मनुष्य इसी मार्ग से पैदा हुए हैं तथा प्रगति की है । हे मनुष्य आप अपने उत्पन्न होने के आधार रूप अपनी माता को विनिष्ट ना करें ।

वेदों के अनुसार सत्य सनातन है ईश्वर ही सत्य है आत्मा ही सत्य है मोक्ष ही सत्य है और इस सत्य के मार्ग को बताने वाला धर्म ही सनातन धर्म भी सत्य है। सनातन जो शाश्वत है सदा के लिए सत्य है जिन बातों का शाश्वत महत्व है वही सनातन कहा गया है।

वह सत्य जो आदिकाल से चला रहा है और इसका कभी कोई अंत नहीं है जिनका ना कोई आरंभ है और अंत है। उस सत्य को ही सनातन सत्य धर्म कहा गया है। सनातन धर्म के मूल तत्व अहिंसा, दया, श्रमदान जब तक यह नियम आदि है जिनका शाश्वत महत्व अन्य प्रमुख पंथ के उदय होने से पूर्व वेदों में इन सिद्धांतों को प्रतिपादित कर दिया था।

वैदिक या हिंदू धर्म को इसलिए सनातन धर्म कहा जाता है क्योंकि यह एकमात्र धर्म है जो ईश्वर आत्मा और मोक्ष को तत्व और ध्यान से जानने का मार्ग बताता है । मोक्ष की परिभाषा इसी धर्म की देन है । एक निष्ठा, ध्यान, मौन और तप सहित यह नियम के अभ्यास हैं और जागरण का मोक्ष मार्ग है अन्य कोई मोक्ष का मार्ग नहीं है मोक्ष से ही आत्मज्ञान और ईश्वर का ज्ञान होता है ।

Sanatan Dharma ka Ullekh : सनातन धर्म का वर्णन

ऋग्वेद के अनुसार यही सनातन धर्म का सत्य है। सनातन धर्म के इतिहास में 108 उपनिषद है इनमें से एक उपनिषद की हम बात करते हैं इसमें लिखा है। असतो मा सद्गमय तमसो मा ज्योतिर्गमय। इसका अर्थ है कि हे प्रभु मुझे असत्य से सत्य की ओर ले चलो । अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो मृत्यु से अमृत की ओर ले चलो जो लोग उस परमतत्व है परब्रह्म परमेश्वर को नहीं मानते हैं वे असत्य में गिरते हैं।

असत्य से मृत्यु काल अनंत अंधकार में पड़ते हैं। उनके जीवन की गाथा भ्रम और भटकाओं की ही गाथा सिद्ध होती है वह कभी अमृत्व को प्राप्त नहीं करते हैं। मृत्यु आए इससे पहले ही सनातन धर्म के मार्ग पर आ जाने में ही भलाई है। अन्यथा अनंत योनियों में भटकने के बाद प्रलय काल के अंधकार में पड़े रहना पड़ता है ।

ऐसा हमारे उपनिषद में लिखा है जो इन्ही 108 उपनिषदों में से एक उपनिषद है और जिसे बृहदारण्यक उपनिषद के नाम से जाना जाता है इसमें लिखा है सत्य दो धातु से मिलकर बना है। सत और तत्, सत् का अर्थ है यह और तत का अर्थ है वह,

यह और वह दोनों ही सत्य है । अहम ब्रह्मस्मि तत्वमसी, इसका अर्थ है कि मैं ही ब्रह्म हूं और तुम ही ब्रह्म हो यह संपूर्ण जगत ब्रह्ममय है ब्रह्म पूर्ण है यह जगत भी पूर्ण है पूर्ण जगत की उत्पत्ति पूर्ण ब्रह्म से हुई है। पूर्ण ब्रह्म से पूर्ण जगत की उत्पत्ति होने पर ही ब्रह्म और पूर्णता में न्यूनता नहीं आई वह शेष रूप में भी पूर्ण ही रहता है और यही सनातन धर्म सत्य है ।

जो तत्व सदा सर्वदा निर्लपी निरंजन निर्विकार और स्वरूप में स्थित रहता है उसे सनातन शाश्वत सत्य कहते हैं। वेदों का ब्रह्म और गीता का अस्तित्व प्रज्ञ ही शाश्वत सत्य है। जड़ प्राण मन आत्मा और ब्रह्म शाश्वत सत्य की श्रेणी में आते हैं। सृष्टि वैष्णव अनादि अनंत सनातन और सर्वभूति है।

दोस्तों आपको हमने बताया कि सनातन धर्म का अर्थ है शाश्वत या सत्य जो सत्य है वही सनातन है और इसी को सनातन धर्म कहते हैं। तो अगर हम बात करें सनातन धर्म से जुड़े जड़ तत्व की तो वह यह है आकाश वायु जल पृथ्वी और अग्नि जिन्हें हम देख सकते हैं। जिन्हें हम आभास या महसूस कर सकते हैं और जिनको अभिभूत कर सकते हैं। तो यही शाश्वत सत्य की श्रेणी में भी आते हैं।

यह अपना रूप बदल सकते हैं लेकिन ये समाप्त नहीं होते प्राण की भी अपनी अवस्थाएं हैं। प्राण अपान समान और ज्ञानी लोग ब्रह्मा को निपुण और शगुण कहते हैं। उक्त सारे भेद तब तक विद्यमान रहते हैं जब तक की आत्मा मोक्ष प्राप्त न कर ले यही सनातन धर्म का सत्य है।

अभी तक आपने जाना की सनातन धर्म क्या है और इसकी उत्पत्ति कहां से हुई और इसके साक्ष्य और प्रमाण हमारे पास क्या है लेकिन हम बात करते हैं हिंदुत्व आर्यावर्त और वैदिक इनके नाम क्यों और कैसे रखे गए इनका इतिहास क्या है ? इनका रहस्य क्या है।

Hindu dharma kya hai : हिंदू धर्म क्या है

हम अगर बात करें हिंदुत्व धर्म की तो ईरानी अर्थात पारसी देश के पारसियों की धर्म पुस्तक में आर्य शब्द का उल्लेख मिलता है। दूसरी ओर अन्य इतिहासकार मानते हैं कि चीनी यात्री ह्वेनसांग के समय में हिंदू शब्द की उत्पत्ति इंदु से हुई है। हिंदू शब्द चंद्रमा का पर्यायवाची शब्द है।

भारतीय ज्योतिष गणना का आधार चंद्रमा से ही है। चीन के लोग भारतीय को इंदु हिंदू कहने लगे कुछ विद्वान कहते हैं कि हिमालय से हिंदू शब्द की उत्पत्ति हुई। हिंदू कुछ पर्वत के नाम से ही हमारे धर्म का नाम हिंदू पड़ा और वहीं दूसरी और अगर हम बात करें कि आर्यावर्त क्या है आर्य धर्म क्या है ?

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आर्य समाज के लोग इसे आर्य धर्म कहते हैं इसका अर्थ श्रेष्ठ माना गया है। अर्थात जो मन, वचन और कर्म से श्रेष्ठ है वही आर्य है। बौद्ध धर्म के चार आर्य सत्य का अर्थ ही चार श्रेष्ठ सत्य होता है। बुद्ध कहते हैं कि उक्त शेष में शाश्वत सत्य को जानकर ही अष्टांगिक मार्ग पर चलना इस धर्म सनातन अर्थात यही सनातन धर्म कहलाता है ।

इस प्रकार आर्य धर्म का अर्थ शेष क्षमा होता है। प्राचीन भारत को आर्यावर्त भी कहा जाता है इसका तात्पर्य है शेष जनों कि निवास भूमि था। सनातन मार्ग दोस्तों जब विज्ञान प्रत्येक वस्तु विचार और तत्व का मूल्यांकन करते हैं तब इस प्रक्रिया में धर्म के अनेक विश्वास और सिद्धांत धराशायी हो जाते हैं ।

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Sanatan dharm ka vigyan : सनातन धर्म का विज्ञान

विज्ञान भी अभी तक सनातन धर्म को पूर्ण रूप से जानने में सक्षम नहीं हुआ है किंतु वेदांत में लिखित है जिसे सनातन धर्म की महिमा का वर्णन किया गया है । विज्ञान धीरे-धीरे उससे सहमत होता हुआ नजर आ रहा है । हमारे ऋषि मुनियों में ध्यान और मोक्ष की गहरी अवस्था में ब्रह्म के रहस्य को जानकर उसे स्पष्ट तौर पर व्यक्त किया है ।

वेदों में सर्वप्रथम ब्रह्म और ब्राह्मण के रहस्य से पर्दा हटाकर मोक्ष की धारणा को प्रतिपादित कर उसके महत्व को समझाया गया था। मोक्ष के बिना आत्मा की कोई गति नहीं है इसलिए ऋषियों ने मोक्ष के मार्ग को ही सनातन मार्ग माना है किंतु मोक्ष का मार्ग है क्या धर्म अर्थ काम और मोक्ष में मोक्ष जीवन का अंतिम लक्ष्य है ।

यम नियम अभ्यास और जागरण से ही मोक्ष का मार्ग प्राप्त होता है। जन्म और मृत्यु मिथ्या है । जगत भ्रमपूर्ण है, ब्रह्मा और मोक्ष ही सत्य है, मोक्ष से ही ब्रह्म हुआ जा सकता है। इसके अलावा स्वयं के अस्तित्व को कायम करने का कोई उपाय नहीं है।

ब्रह्म के प्रति समर्पित रहने वाले ब्राह्मण और ब्राह्म को जानने वाले ही ब्रह्म ऋषि और ब्रह्म को जानकर ब्रह्ममय हो जाने वाला ही ब्रह्मलीन कहलाता है। सनातन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जिसका कोई विरोधाभास नहीं हो सकता क्योंकि सनातन धर्म के सत्य को जन्म देने वाले अलग-अलग काल में अनेक ऋषि हुए हैं। उक्त ऋषि को दृष्टा कहा जाता है।

अर्थात जिन्होंने सत्य को जैसा देखा वैसा ही कहा इसलिए सब ऋषियों की बातों में एकरूपता दिखाई देती है। इसलिए जो सब ऋषियों की उक्त बातों को समझ नहीं पाते हैं जो उसे भेदभाव करते हैं भेद भाषाओं में होता है अनुवादों में होता है संस्कृतियों में होता है परंपराओं में होता है सिद्धांत में होता है लेकिन सत्य में कभी भेदभाव नहीं होता इसलिए सनातन धर्म एक मात्र ऐसा धर्म है जिसका कोई विरोधाभास नहीं है सनातन ही सत्य है और सत्य ही सनातन है।

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