पीपल सदियों से हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण और अभिन्न अंग रहा है इसलिए भारत का सर्वोत्तम पुरस्कार भारत रत्न कांसा से बने पीपल के पत्ते के रूप में प्रदान किया जाता है। क्या आप जानते हैं Pipal ki puja kyon karte hain: पीपल के पेड़ की पूजा क्यों की जाती है । इस लेख में हम आपको विस्तार पूर्वक बताएंगे।
Pipal ki puja kyon karte hain: पीपल के पेड़ की पूजा क्यों की जाती है
विष्णु पुराण के अनुसार पीपल में ब्रह्मा विष्णु व महेश तीनों महादेवों की अंश विद्यमान है पीपल की जड़ों में ब्रह्मा तने में विष्णु तथा इसके ऊपर के भाग में शिव का वास बताया गया है इसलिए सदियों से भारत में पीपल की ठंडी छांव हमारे ग्रामीण समाज का हिस्सा रही है।
मंदिरों के प्रांगण गांव के चौराहा चबूतरा आदि को पीपल का पेड़ सदा ही न केवल शुद्ध करता है अपित उसका एक महत्वपूर्ण अंग भी था जिसकी शीतल छाव तले बैठकर गांव के बड़े बूढ़े पंचायत करके गांव की समस्याओं का हाल ढूंढते थे और न्याय करते थे।
पीपल के वृक्ष की कई प्रजातियां हैं जिनके कारण उनकी बनावट हुआ पत्तों के रंगों में अंतर होता है कुछ पेड़ सीधे और लंबे होते हैं जबकि कुछ अधिक लंबे ना होकर फैलाव में अधिक होते हैं और छतरी की तरह झुके रहते हैं ऐसे पेड़ बड़े बूढ़ों की तरह आशीर्वाद देते हुए लगते हैं प्राय ऐसी ही पीपल की पूजा होती है।
पीपल के पेड़ों का काटना या गिरना पाप माना जाता है पीपल के महत्व को ध्यान में रखते हुए हमारे ऋषि मुनियों ने इसे ना काटने का विधान बताया और धार्मिक मान्यता दी इसके अतिरिक्त पीपल लगाना एवं इस वृक्ष की रक्षा करना व साफ सफाई करना भी पुण्य का कार्य माना जाता है।
Pipal ke ped ki puja
हमारे ऋषि मुनियों ने बहुत गहराई से ध्यान योग करके करोड़ों वर्ष पहले ही यह पता लगा लिया था कि पीपल हमें प्राण दाहिनी हवा अर्थात आक्सीजन प्रदान करती है। और यह ऑक्सीजन रातों दिन अर्थात 24 घंटे पीपल का वृक्ष हमें प्रदान करता है जबकि अन्य सभी वृक्ष दिन में ऑक्सीजन और रात्रि में कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ते हैं जो हमारे स्वास्थ्य और जीवन के लिए हानिकारक है।
पीपल के वृक्ष से उसके जड़ तना पत्ती फूल और बीज लगभग 2000 दवाइयां आयुर्वेद में बनाई जाती थी। जिससे इन दवाइयां से सभी प्राणियों की जीवन रक्षा होती थी। पीपल के पेड़ के नीचे का वायुमंडल मन को शांत करने में सहायक होता है। इसी कारण मस्तिष्क की क्रिया शीघ्र ही एकाग्र हो जाती है जो ध्यान योग में सहायक होती है।
पीपल में एक अन्य विशेषता यह है कि इसके पत्ते कितने भी घने क्यों ना हो फिर भी इसके नीचे दिन में कभी अंधेरा नहीं होता क्योंकि इसके पत्ते जरा सी हवा में हिलने ढूंढने लगते हैं इसी कारण सूर्य की किरणें छान छान कर पीपल तले धरती पर सतत उतरती रहती हैं और वहां कभी अंधेरा नहीं होने देती।
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एक और विशेषता यह है कि सूर्य की किरणें जब उसके पत्तों पर आती है तो यह ठंडा करके ही उन्हें धरती पर आने देता है जिसके कारण पीपल की इच्छा हो सदा ठंडी रहती है और उसके नीचे बैठकर प्राणी अपनी थकान शीघ्र ही मिटा सकते हैं।
इन्हीं विशेषताओं के कारण हमारे ऋषि मुनियों ने पीपल की वृक्ष की रक्षा के लिए उसे जल अर्पण करने और उसकी सेवा करने अर्थात पूजा करने को बताया है। ताकि पीपल के पेड़ की जड़ों को निरंतर जल की आवश्यकता की पूर्ति होती रहे और पीपल का वृक्ष हमें सुख समृद्धि और ठंडी हवा प्रदान करें । और हमारे मन मस्तिष्क को शांत और स्थिरता प्रदान कर सके।
Pipal tree ke fayade: पीपल के वृक्ष का महत्व
पीपल की छांव और इसके पत्तों से छानी हुई हवा मस्तिष्क को चेतना और ताजगी देती है। प्राचीन ग्रंथो के अनुसार यदि कोई व्यक्ति वसंत के मौसम में पीपल के पांच पके हुए फल प्रतिदिन सेवन करें तो उसकी स्मरण शक्ति तीव्र होती है।
महर्षि दयानंद जी ने व्याकरण निरुक्त छंद व अनेक धर्मशास्त्र कंठस्थ थे वह बसंत ऋतु के समय पीपल के फलों का सेवन करते थे प्राचीन काल में गुरुकुलों की कक्षाएं पीपल के पेड़ों के नीचे लगती थी जहां विद्यार्थी उसकी शुद्ध व स्मरण शक्ति वर्धक वायु में वेद पाठ कंठस्थ करते थे।
पीपल का एक आश्चर्यजनक लाभ यह है कि इसका नित्य स्पर्श शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बिना किसी शक्ति वर्धक दवा के ही बढ़ा देता है। केवल इतना ही नहीं अभी तो इससे अंतर्मन की शुद्धि होती है और मनुष्य के दब्बू पन का नाश होता है। और इसके साथ उसका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।
Pipal tree: पीपल का पेड़
पीपल के वृक्ष का निरंतर पूजा करने से मनुष्य के शरीर में आभामंडल का शोधन होता है तथा उसके विचारधारा में सकारात्मक परिवर्तन होता है ।
पीपल का स्पर्श करते समय मन में ऐसी मंगल कामना करनी चाहिए कि हम तेजस्वी हो रहे हैं और हमारी बुद्धि का विकास हो रहा है मंद बुद्धि वाले व्यक्ति वह बच्चों के लिए पीपल का शाश्वत स्पर्श विशेष लाभदाई है पीपल का स्पर्श मनुष्य का अलसी भी दूर करता है।
बरगद के पेड़ की तरह पीपल को भी बन की आवश्यकता नहीं होती पक्षी इसके फल खाकर जहां कहीं भी बीट कर देते हैं पीपल वही बिना खाद पानी के ऊपर आकाश होने लगता है।
प्रकृति ने पीपल की जड़ों को इतना मजबूत बनाया है कि वह पथरीली भूमि वह पत्थरों तक को भेद कर जमीन के बीच दूर-दूर तक फैल जाती है यही कारण है कि पीपल के पेड़ों को बड़े बुजुर्ग घर के अंदर लगाने से मना करते हैं।
क्योंकि इसकी लोहे जैसी मजबूत जड़ें मकान की नींव को उखाड़ कर छाती पहुंचा सकती हैं परंतु वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की पश्चिम दिशा की ओर पीपल का वृक्ष लगाना शुभ माना जाता है पीपल का घर के पूर्व भाग में होना शुभ माना जाता है।
पीपल का पेड़ घर में क्यों नहीं लगते हैं ?
क्योंकि इसकी लोहे जैसी मजबूत जड़ें मकान की नींव को उखाड़ कर छाती पहुंचा सकती हैं परंतु वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की पश्चिम दिशा की ओर पीपल का वृक्ष लगाना शुभ माना जाता है पीपल का घर के पूर्व भाग में होना शुभ माना जाता है।
पीपल के पेड़ का महत्व क्या है ?
पीपल के वृक्ष से उसके जड़ तना पत्ती फूल और बीज लगभग 2000 दवाइयां आयुर्वेद में बनाई जाती थी। जिससे इन दवाइयां से सभी प्राणियों की जीवन रक्षा होती थी।
पीपल का पेड़ क्यों नहीं काटा जाता है?
पीपल का पेड़ रातों दिन शुद्ध ऑक्सीजन देता है अन्य सभी पेड़ रात्र में कार्बन डाइऑक्साइड फेंकते हैं । पीपल के पेड़ से 2000 दवाइयां आयुर्वेद में बनती हैं,इसलिए ऋषि मुनियों ने इस वृक्ष को काटना वर्जित किया है
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