Sanatan Dharma kitna purana hai

वर्तमान समय में कई ऐसे मजहब अथवा पंथ समाज में अपनी दुकान को धर्म का नाम देते हैं। जबकि सनातन धर्म दुनिया का एकमात्र धर्म है। लोग यह जानना चाहते हैं कि Sanatan Dharma kitna purana hai । इस लेख को पढ़ने के पश्चात आपके मन से sanatan dharma कि अवधि को लेकर सारे भ्रम दूर हो जाएंगे ।

Sanatan Dharma kitna purana hai

Sanatan Dharma

ज्ञान की इस अभाव को दूर करने के लिए है हमें सबसे पहले अपने धर्म के मूल स्वरूप से परिचित होना होगा तभी हम अपनी धार्मिक मान्यताओं की विज्ञान को भली-भांति समझ सकेंगे और आने वाली पहली को उसके बारे में बता सकेंगे।

सनातन धर्म की पहली विशेषता यह है कि विश्व में आज जितने भी पंथ या मजहब है यह उनमें सबसे प्राचीनतम है। इसके साथ जो अन्य तथाकथित धर्म जन्मे वा पनपे हैं वे या तो लुप्त हो गए हैं या फिर छिन्न भिन्न। हमारी सनातन धर्म की निरंतरता के पीछे जो कारण है वह है इसकी विश्वव्यापी सुगम्यता इसका आंचल केवल किसी जाति विशेष या समाज के लिए नहीं था इसके मंत्रों में यह भाव निहित था।

कि सारा विश्व ही एक परिवार है( वसुधैव कुटुंबकम) और संसार की सभी प्राणियों का कल्याण हो । (लोकः समस्तः सुखनों भवन्तु) ऐसी सुंदर भावना थी उन मंत्रों में। यह मंत्र केवल भारत भूमि के धर्म में आस्था रखने वालों के लिए ही नहीं थे अपितु ये तो संसार के समस्त प्राणियों के कल्याण हेतु बने थे।

ऐसी व्यापक विश्व कल्याणकारी विचारधारा विश्व की किसी अन्य मजहब यह पंथ अथवा तथा कथित धर्मों में देखने को नहीं मिलती हमने सभी धर्म का आदर किया सभी को स्वीकार किया यही कारण है कि हमारे धर्म में आज भी निरंतरता गतिमान है।

Sanatan Dharma kitna purana hai

  • आपको कई लेख में पढ़ने को मिलेगा कि सनातन धर्म 12000 वर्ष पुराना है कोई बताएगा 96 हजार वर्ष पुराना है। जबकि यह सत्य नहीं है सनातन धर्म में चार युग बताए गए हैं सतयुग ,त्रेतायुग, द्वापर युग और कलयुग इन युगों का वर्ष जान लीजिए आप स्वयं ही जान जाएंगे।
  • सतयुग : 17 लाख 28 हजार वर्ष
  • त्रेतायुग : 12 लाख 96 हजार वर्ष
  • द्वापरयुग : 8 लाख 64 हजार वर्ष
  • कलयुग : 4 लाख 32 हजार वर्ष

इसके अतिरिक्त एक और बात यह है कि यह युग निरंतर चलते रहते हैं। अर्थात सतयुग त्रेता युग द्वापर युग कलयुग के बाद पुनः प्रलय होती है। और धरती पुनः जलमग्न हो जाती है और फिर सृष्टि का निर्माण जीव जंतुओं का विकास होता है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि Sanatan Dharma (सनातन धर्म) जब से है जब से यह सृष्टि है इसका अर्थ हैं कि सृष्टि के निर्माण के समय से ही सनातन धर्म है इसको किसी ने पैदा नहीं किया है।

Sanatan Dharma kisane banaya

 Sanatan Dharma (सनातन धर्म ) कितना पुराना है इसकी आधारशिला किसने रखी यह प्रश्न प्रायः सभी लोग पूछते हैं। तो इसकी विशेषता यह है इसकी आधारशिला किसी एक व्यक्ति विशेष या एक धर्म ग्रंथ विशेष पर आधारित नहीं है इसके तो अनगिनत आधार स्तंभ है जैसे वेद ,पुराण, रामायण, गीता ,और असंख्य धर्मशास्त्र वा मीमांसाएं। यदि इनमें से हम कुछ शास्त्रों अथवा ग्रंथों को हटा दें अथवा नकार दें तो भी सनातन धर्म की आधारशिला ज्यों का त्यों बनी रहेगी धर्म की यह विशेषता हमें अमृत प्रदान करती है।

Sanatan Dharma (सनातन धर्म) की एक और विशेषता यह है कि इसका जन्म प्रकृति के भय से या फिर किसी सामाजिक कुरीतियां अथवा परिस्थितियों के कारण नहीं हुआ जैसा कि विश्व की अन्य तथाकथित धर्म के इतिहास में प्रायः देखा गया है। इसका जन्म तो प्रकृति के गूढ़ रहस्यों का गहन अध्ययन करके ब्रह्मांड के विज्ञान का पूर्णतया शोध करके और जानने के बाद ही हुआ है ।

इसके अतिरिक्त एक और ध्यान देने योग्य बात है कि भारत के ऋषि मुनियों ने प्रकृति की रहस्यों का अध्ययन व ब्रह्मांड के विज्ञान का ज्ञान अर्जन कुछ सीमित वर्षों में नहीं किया इस अर्जित करने के पीछे कई पीढ़ियां का योगदान व अनुभव रहा केवल इतना ही नहीं यह योगदान व अनुभव भी किसी एक व्यक्ति विशेष का नहीं था यह ज्ञान अर्जन अनेक ऋषि मुनियों के चिंतन मनन का परिणाम है धर्म का इतना विस्तृत आधार विश्व में अन्य कहीं देखने को नहीं मिलता।

सनातन धर्म कितना पुराना है ?

Sanatan Dharma (सनातन धर्म) जब से है जब से यह सृष्टि है इसका अर्थ हैं कि सृष्टि के निर्माण के समय से ही सनातन धर्म है इसको किसी ने पैदा नहीं किया है।

चारों युग में कितने वर्ष हैं ?

सतयुग : 17 लाख 28 हजार वर्ष
त्रेतायुग : 12 लाख 96 हजार वर्ष
द्वापरयुग : 8 लाख 64 हजार वर्ष
कलयुग : 4 लाख 32 हजार

Leave a Comment