Shradh: विज्ञान सम्मत है श्राद्ध कर्म

शोधकर्ताओं के अनुसार पितरों के डीएनए का विस्तार ही हमारा अस्तित्व है प्रत्येक शिशु का जुड़ाव उसके पूर्वजों से ही बना रहता है इसलिए Shradh: विज्ञान सम्मत है श्राद्ध कर्म । आत्मा अजर अमर है शरीर के न रहने पर भी आत्मा का अस्तित्व रहता है आत्मा कभी ना नष्ट होने वाली ऊर्जा है जो मोक्ष प्राप्त होने पर ईश्वर की अनंत ऊर्जा में समाहित हो जाती है।

Shradh: विज्ञान सम्मत है श्राद्ध कर्म
विज्ञान सम्मत है श्राद्ध कर्म

Shradh: विज्ञान सम्मत है श्राद्ध कर्म

विज्ञान के अनुसार ऊर्जा हमेशा संरक्षित रहती है यह एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित हो जाती है इसीलिए धर्मशास्त्र में कहा गया है की मृत्यु अंत नहीं प्रारंभ है। जीवित और मृत भेद मात्रा स्थूल जगत तक ही सीमित रहता है सूक्ष्म जगत में सभी जीवित हैं आनुवंशिक विज्ञान पर वैज्ञानिकों के अनुसार आज भी हम अपने पूर्वजों से जुड़े हुए हैं।

पितरों के डीएनए का विस्तार ही हमारा अस्तित्व है प्रत्येक शिशु का जुड़ाव उसके पूर्वजों से बना रहता है क्रोमोजोम्स के माध्यम से वैज्ञानिकों ने प्रमाणित किया है कि नवजात शिशु में कुछ गुण दादा एवं पर दादा के और कुछ गुण नानामह तथा नाना के समाहित रहते हैं पितरों के निमित्त श्राद्ध आदि कर्म करने से पितरों के साथ-साथ स्वयं का भी कल्याण होता है पितरों का श्राद्ध करने से सकारात्मक वातावरण उत्पन्न होता है और घर की नकारात्मकता दूर होती है।

श्राद्ध तर्पण 2023 में कब है पढ़ेंhttps://vedlok.com/shradh-2023-shra…e-ka-karan-hindi/

Shradh Karma Ka Mahatv

धर्म शास्त्रों के अनुसार हमें जो शरीर दिखाई देता है उसे स्थूल शरीर कहा जाता है और जो शरीर अदृश्य है वह सच में शरीर कहलाता है स्थूल शरीर पंचतत्व अग्नि पृथ्वी वायु जल आकाश से निर्मित है आत्मा के साथ पंचतत्व एक दूसरे से अंतर निहित होकर मानव पिंड की रचना करते हैं जब आत्मा भौतिक स्थूल शरीर से निकल जाती है तो पंचतत्व का अपना कोई पृथक अस्तित्व नहीं रहता कहा जाता है ।

एक बार पांच तत्वों अग्नि वायु पृथ्वी जल तथा आकाश के बीच वाद विवाद होने लगा वायु ने कहा कि मनुष्य मेरे कारण ही जीवित रहता है मेरे जाते ही क्षण भर में उसकी जीवन लीला समाप्त हो जाती है यह सुनकर पृथ्वी तत्व बोला मेरे कारण ही शरीर अस्तित्व में है मेरे ना होने पर मानव का अस्तित्व ही समाप्त हो जाता है इस पर जल तत्व ने कहा जीवन का आधार तो जल ही है अग्नि तत्व ने अपना पक्ष रखते हुए कहा मैं ना रहूं तो यह शरीर क्षण भर में ठंडा हो जाए ।आकाश तत्व ने कहा मेरी उपयोगिता का मूल्यांकन तुम सब की पहुंच से परे है समस्त सूक्ष्म शक्तियों का संचालन में ही तो करता हूं।

पांच तत्वों का संवाद आत्मा बैठी बैठी सुन रही थी आत्मा ने शरीर से जैसे ही पलायन किया पांचो तत्वों से बना शरीर बिखर गया पंचतत्व समझ गए कि मानव शरीर में आत्मा ही प्रधान है मरणोपरांत आत्मा का अस्तित्व यथावत बना रहता है पितृ आत्माओं के प्रति श्रद्धांजलि और कृतज्ञता व्यक्त करने का पितृपक्ष महापर्व है।

Shradh ke fayade

धर्मशास्त्र के अनुसार माता-पिता का आशीर्वाद संतान के साथ हमेशा रहता है जीवित माता-पिता संतान को प्रत्यक्ष आशीर्वाद देते हैं और दिवंगत आत्माएं पितरों के रूप में तीन पीढियां तक अपनी संतानों का अप्रत्यक्ष मार्गदर्शन तथा सहायता करती हैं। पितृपक्ष में संतान जब अपने पूर्वजों को याद कर श्राद्ध तर्पण आदि से संतुष्ट करते हैं तो पूर्वजों की कृपा बरसती है प्रसन्न होने पर पितृगन अपने वंशजों को विभिन्न बाधाओं से बचाते हैं।

Shradh Karma

धर्म शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि मनुष्य के सारे जप तप, पूजा पाठ अनुष्ठान और मंत्र साधना आदि तभी सफल होते हैं जब उसके पितृगन प्रसन्न होते हैं पितरों के प्रसन्न होने पर ही सारे देवता प्रसन्न होते हैं पितृगन के अतिरिक्त होने पर जीवन में अनेक प्रकार की बाधाएं आती हैं श्रद्धा से तर्पित हुए पितृ अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं पितरों की कृपा से सब प्रकार की समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

पितरों को श्राद्ध देने से क्या होता है ?

पितरों को श्रद्धा देने से पितृ हमारी रक्षा करते हैं तथा वह भविष्य में आने वाली कठिनाइयों का निराकरण करते हैं।

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