विपरीत आहार क्या है, आयुर्वेद के अनुसार विरुद्ध आहार, विरुद्ध आहार से होने वाले रोग


भोजन हमारे शरीर के पोषण के लिए अत्यंत उपयोगी है। इसलिए यह आवश्यक है कि हमें कैसा भोजन करना चाहिए कौन सा भोजन करना चाहिए। इस लेख में हम आपको किस-किस भोजन के साथ क्या-क्या खाना चाहिए क्या नहीं।विपरीत आहार क्या है, आयुर्वेद के अनुसार विरुद्ध आहार, विरुद्ध आहार से होने वाले रोग। ऋतुओं के अनुसार मिलने वाले खाद्य पदार्थ फल सब्जियां दूध मसाले आदि का हम अपने भोजन में स्थान देते हैं लेकिन अनजाने में या स्वाद की दृष्टि से ऐसी चीजों का सेवन कर लेते हैं जो जो गुना में विपरीत होते हैं और एक दूसरे के साथ क्रिया करते हैं। जिसे रसायन की भाषा में रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं।

विपरीत आहार क्या है, आयुर्वेद के अनुसार विरुद्ध आहार, विरुद्ध आहार से होने वाले रोग
विपरीत आहार क्या है, आयुर्वेद के अनुसार विरुद्ध आहार, विरुद्ध आहार से होने वाले रोग

आयुर्वेद के अनुसार विरुद्ध आहार

आयुर्वेद में महर्षि वाग्भट्ट ने विरुद्ध आहार के विषय में  विस्तृत चर्चा की है। महर्षि वाग्भट ने बताया की जो खाद्य पदार्थ जिनके गुणधर्म आपस में विपरीत है उनका सेवन नहीं करना चाहिए ऐसा करने से मनुष्य के पाचन तंत्र को हानि पहुंच सकती है तथा अन्य विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। विभिन्न गुणधर्म वाली चीज का अलग-अलग सेवन करने से लाभकारी हो सकती है परंतु उनका एक साथ ग्रहण करना हमारे लिए हानिकारक होते हैं।

किसके साथ क्या नहीं खाना चाहिए

शहद और घी

आयुर्वेद के अनुसार शहर और घी का एक साथ सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि इन दोनों के गुणधर्म विपरीत होते हैं और इनका शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है। और शरीर में विष पैदा हो जाता है ।

मछली के साथ दूध

महर्षि वागभट्ट ने बताया कि मछली और दूध का एक साथ सेवन नहीं किया जा सकता है। क्योंकि दूध की तासीर ठंडी होती है और मछली में गर्म करने का गुण है। इन दोनों का एक साथ ग्रहण करना नाड़ियों में रुकावट पैदा कर सकता है।

केला और अंडा का सेवन

केले और अंडे का सेवन भी एक साथ नहीं किया जा सकता इनका एक साथ सेवन करने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं क्योंकि केला की तासीर ठंड होती है और अंडे की तासीर गर्म होती है ऐसे में इन दोनों का एक साथ सेवन करना हमारे शरीर के लिए दुष्प्रभावी होता है।

दूध और खट्टा पदार्थ

दूध का सेवन खट्टी पदार्थ जैसे नींबू, संतरा,अचार, नमक करौंदा, आंवला,इमली, मूली आदि के साथ नहीं करना चाहिए।

दही और खीर का सेवन

दही और खीरे का एक साथ सेवन नहीं करना चाहिए तथा खीरे के साथ कटहल,खटाई,सत्तू, शराब आदि नहीं खाएं।

ठंडे जल के साथ

ठंडे जल के साथ घी तेल गर्म पदार्थ या गर्म दूध अमरूद खीरा ककड़ी मूंगफली तरबूज आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। वैसे तो आयुर्वेद में भोजन के साथ ठंडा पानी नहीं पीना चाहिए और न ठंडे पानी के साथ कोई भोजन करना चाहिए।

मूली के साथ –

मूली के साथ उड़द की दाल न खाएं।

कांसा के बर्तन में घी-

कांसा के बर्तन में रखा हुआ घी हर अथवा नीला हो जाता है जिसका सेवन हानिकारक है।

खीर, सुरा, मलाई-

खीर, खोया,दूध, मलाई के साथ खिचड़ी,सुरा, का सेवन नहीं करना चाहिए।

तिल और पोई-

तिल की चटनी के साथ पकाया गया पोई (उपेदिका या उपोदिका ) या शाग का सेवन नहीं करना चाहिए।

इस प्रकार विपरीत गुना वाले आहार अर्थात विरुद्ध आहार का ग्रहण करने से धातु और गुण असंतुलित हो जाते हैं। इसके परिणाम स्वरुप हमें विभिन्न प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है अतः इन सब खाद्य पदार्थों का हमें ध्यान पूर्वक विचार करके ही इन पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

विरुद्ध आहार से होने वाले रोग :

उपरोक्त ऊपर लिखी हुई सभी बातों खाद्य पदार्थों का एक साथ सेवन करने से निम्न प्रकार के रोग हो सकते हैं।

  • नपुंसकता
  • भगंदर
  • बवासीर
  • सफेद दाग, कुष्ठ रोग
  • टीबी, खांसी
  • चर्म रोग
  • पेट में पानी भरना
  • डायबिटीज ( मधुमेह)
  • अंधापन
  • गले के रोग
  • संतान उत्पत्ति ना होना
  • गर्भ में शिशु का मर जाना (गर्भवती महिला द्वारा सेवन किए जाने पर)
  • जलोदर
  • अनिद्रा

इन सभी बीमारियों के अतिरिक्त अन्य प्रकार की बीमारी भी हो सकती है मानसिक रोग जैसी बीमारियां भी ऐसे सेवन करने से हो सकती हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इन सब के अतिरिक्त मृत्यु (मौत )भी हो सकती है ऐसे पदार्थ का सेवन करने से।

खाद्य पदार्थों से होने वाले रोग की चिकित्सा

आयुर्वेद में बताया गया है कि अगर किसी खाद्य पदार्थों को अधिक मात्रा में ग्रहण कर लिया है और उससे कोई समस्या हो रही तो उससे जुड़ी लाभकारी चीज खाकर आप आराम का सकते हैं।

 

खाद्य सामग्री

 

 

सेवन से होने वाले रोग

 

 

 

उपचार 
अंडे कफकारक, पित्त कारक खुरासानी अजवाइन, हरा धनिया, हल्दी और प्याज
मछली और मांस पित्तकारक नारियल, चूना और नींबू
लाल मांस ( मटन) दीर्घ[पाकी (देर में पचने वाला) लाल मिर्च, लौंग
खट्टी मलाई कफकारक जीरा या अदरक
पनीर पित्तकारक, कफप्रकोपक काली मिर्च, लाल मिर्च
कुल्फी कफकारक, रक्ताधिक्यर लौंग या इलायची
गेंहूं कफकारक अदरक
चावल कफ कारक लौंग या काली मिर्च के दाने
फली वाली सब्जियां वातकारक, पेट में गैस बनाने वाली लहसुन, लौंग, काली मिर्च, लाल मिर्च
बंद गोभी वात कारक सूरजमुखी के तेल में हल्दी और सरसों के बीज के साथ पकाकर खाएं।

 

 

 

 

Leave a Comment